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भोपाल

स्वाइन फ्लू के 281 मरीज, 60 की मौत, फिर भी नहीं जागा विभाग

जेपी अस्पताल में आईसोलेशन वार्ड का लगाया सिर्फ बोर्ड, वहीं हमीदिया में भी सिर्फ नाम का स्वाइन फ्लू वार्ड

भोपालNov 24, 2019 / 01:52 am

Pushpam Kumar

स्वाइन फ्लू के 281 मरीज, 60 की मौत, फिर भी नहीं जागा विभाग

स्वाइन फ्लू के 281 मरीज, 60 की मौत, फिर भी नहीं जागा विभाग

भोपाल. डेंगू को रोकने में नाकाम स्वास्थ्य विभाग अब भी नहीं चेता है। तापमान में गिरावट होने लगी है। ऐसे में स्वाइन फ्लू के वायरस के सक्रीय रहने के लिए ये मौसम सबसे अनुकुल है। हालांकि इन सबके बावजूद स्वास्थ्य विभाग ने अब तक इसे बचाव के लिए तैयारियां शुरू नहीं की हैं। जेपी अस्पताल में आईसोलेशन वार्ड के रूप में सिर्फ बोर्ड लगाया गया है वहीं हमीदिया अस्पताल में भी सिर्फ नाम का ही स्वाइन फ्लू वार्ड बनाया गया है।राजधानी में इस साल स्वाइन फ्लू के 281 मरीज सामने आ चुके हैं, वहीं 60 की मौत हो चुकी है। राहत की बात यह है कि इन पॉजीटिव मरीजों में से 265 मामले जनवरी और मार्च के बीच सामने आए थे। बीते तीन माह में सिर्फ 16 नए मरीज ही मिले हैं और तीन की मौत हुई है। सीएमएचओ डॉ. सुधीर डहेरिया ने हमीदिया और जेपी अस्पताल में आईसोलेशन वार्ड में व्यवस्थाएं दुरुस्त रखने के निर्देश दिए हैं। विशेषज्ञों की मानें तो स्वाइन फ्लू का वायरस हर दो साल में सक्रिय होता है। वर्ष 2017 में शहर में 171 मरीज सामने आए थे। इनमें से 31 की मौत हो गई थी।
रखें ये सावधानियां
खांसते-छींकते समय टिशू पेपर से कवर रखें, फिर नष्ट कर दें।
बाहर से आकर हाथों को साबुन से धोएं और एल्कोहल बेस्ड सेनिटाइजर का इस्तेमाल करें।
स्वाइन फ्लू के लक्षण हों तो मास्क पहनें, घर में ही रहें।
स्वाइन फ्लू के लक्षण वाले मरीज से हाथ मिलाने से बचें, बार-बार हाथ धोएं।
लाइलाज नहीं बीमारी
हमीदिया के टीबी एंड चेस्ट डिपार्टमेंट के प्रमुख डॉ. लोकेंद्र दवे बताते हैं कि स्वाइन फ्लू लाइलाज बीमारी नहीं है। एहतियात बरतकर इसे रोका जा सकता है। इसमें 100 डिग्री से ज्यादा का बुखार आम है। सांस लेने में तकलीफ, नाक से पानी बहना, भूख न लगना, गले में जलन और दर्द, सिरदर्द, जोड़ों में सूजन, उल्टी और डायरिया भी हो सकता है।
वार्ड में डॉक्टर भी जाने को तैयार नहीं
हमीदिया अस्पताल के स्वाइन फ्लू वार्ड को कमला नेहरू अस्पताल में शिफ्ट किया है। यहां वार्ड के पास ही आई डिपार्टमेंट है। मरीज के परिजनों को बैठने लिए आइसोलेशन वार्ड के बाहर व्यवस्था की गई है। स्वाइन फ्लू के मरीज पीडियाट्रिक वार्ड से होकर गुजरते हैं। ऐसे में अन्य मरीजों को भी स्वाइन फ्लू के संक्रमण का खतरा बना रहता है। यहां मौजूद नर्स ने बताया कि डॉक्टर नहीं रहते हैं इसलिए मरीजों को यहां नहीं रखते।
स्वास्थ्य विभाग के डायरेक्टर के बेटे को हुआ डेंगू
स्वास्थ्य विभाग के एक आयुक्त के 34 साल के बेटे को डेंगू हुआ है। उसका इलाज जेपी अस्पताल में चल रहा है। अब इसकी हालत में सुधार बताया जा रहा है। डायरेक्टर का बेटा पेशे से दंत चिकित्सक है और निजामुद्दीन कॉलोनी में खुद का अस्पताल चलाते हैं। वे चार-पांच दिन से बुखार से पीडि़त थे। 22 नंवबर को उनकी जांच रिपोर्ट आई थी, जांच में डेंगू की पुष्टि हुई है। चिकित्सा अधिकारी ने बताया कि अब उनकी हालत में सुधार है और प्लेटलेट्स भी 40 हजार के पार पहुंच गई हैं। इधर, शहर में चार मरीजों को और डेंगू मिला है। शहर में डेंगू के मरीजों की संख्या बढ़कर अब 1742 हो गई।

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