30.31 लाख अपात्रों के नाम भी दर्ज हैं
1.27 करोड़ पंजीयन की कराई जांच
पिछली सरकार ने विधानसभा चुनाव के पहले संबल योजना शुरू की थी। इसमें असंगठित मजदूरों और गरीबों को शामिल जाना था। उन्हें आर्थिक सहायता सहित अन्य लाभ भी दिए गए। योजना के लिए पंजीयन पोर्टल पर किया गया। अफसरों को स्पष्ट निर्देश थे कि आवेदक द्वारा दी गई जानकारी को ही सही माना जाएगा। कोई जांच नहीं होगी। चूंकि योजना में पंजीकृत लोगों को कई आर्थिक लाभ भी थे, इसलिए इसमें दो करोड़ से अधिक लोगों ने पंजीयन करवा लिया। उन्हें योजना का लाभ भी मिलने लगा।
कांग्रेस सरकार ने योजना में गड़बड़ी देखते हुए जांच के आदेश दिए। सरकार ने दो करोड़ में से 1.27 करोड़ हितग्राहियों की जांच कराई तो 30.31 लाख अपात्र पाए गए। कांग्रेस सरकार ने संबल योजना का नाम बदलकर नया सबेरा कर दिया है।
योजना में 12 हजार आयकरदाता भी
जांच में पाया गया कि योजना में 12159 आयकरदाता भी पंजीकृत हैं। इनमें सबसे ज्यादा इंदौर जिले में 1078 आयकरदाता पंजीकृत हैं। जबकि भोपाल में यह संख्या 119, जबलपुर में 53 और ग्वालियर में 627 है।
नाबालिगों का भी हो गया पंजीयन
योजना में 23350 नाबालिगों के नाम भी हैं। श्रमिकों की इस योजना में 60463 छात्र-छात्राओं के नाम भी शामिल हैं। पंजीकृतों में 879699 ऐसे लोग भी हैं जो श्रमिक नहीं हैं।
29 हजार मृतकों के नाम भी शामिल
कलेक्टरों ने पंजीकृतों की गांव-गांव जांच कराई तो इस सूची में 29110 मृतकों के नाम भी पाए गए। इन्हें इस सूची से हटाया
गया है। जबकि 254168 मौके पर नहीं मिले। 170337 विस्थापितों के नाम भी इस सूची दर्ज हैं। इन सभी के नाम सूची से हटाए जा रहे हैं।
ये हैं संबल में अपात्र पंजीकृत
12159 आयकरदाता
78379 नौकरीपेशा
46017 कारोबारी, व्यवसायी
169002 अन्य योजनाओं में पंजीकृत
43260 एक से अधिक आडडी
1029103 कृषि भूमि 1 हेक्टेयर से अधिक
पिछली भाजपा सरकार के कार्यकाल में अपात्रों का पंजीयन हुआ था। अपात्रों को लाभ भी दिया गया। अब हम स्क्रूटनी कर इसका सत्यापन करा रहे हैं। अपात्रों के नाम सूची से हटाए जा रहे हैं। दोषियों पर कार्रवाई की जाएगी।
महेन्द्र सिंह सिसोदिया, श्रम मंत्री