भोपाल

90% लोग डिप्रेशन के कारण कर लेते हैं सुसाइड, जानिए इससे बचाव के खास तरीके

एक मनोचिकित्सकीय शोध में सामने आया कि, 90 फीसदी आत्महत्याओं का कारण अवसाद होता है।

भोपालMay 26, 2019 / 03:36 pm

Faiz

90% लोग डिप्रेशन के कारण कर लेते हैं सुसाइड, जानिए इससे बचाव के खास तरीके

भोपालः जैसे जैसे हमारा समाज आधुनिकता की ओर बढ़ता जा रहा है वैसे वैसे इसमें बसने वाले लोगों में मानसिक रूप से तनाव भी बढ़ता जा रहा है। दुनिया में बसने वाली बड़ी आबादी आज किसी न किसी मानसिक तनाव से ग्रस्त है। किसी को काम का टेंशन, तो किसी को परिवार का टेंशन, कोई अकेला है तो उसे अपने अकेलेपन की टेंशन, तो किसी को अपने भरे पूरे परिवार की टंशन, किसी को शादी होने पर टेंशन तो किसी को शादी ना होने की चेशन, किसी को पढ़ाई की टेंशन तो किसी को व्यापार में नुकसान फायदे का टेशन। यानी व्यक्ति चारों तरफ से किसी ना किसी मानसिक तनाव से दो चार हो रहा है। कई बार यही मानसिक तनाव बढ़कर अवसाद यानी डिप्रेशन का रूप ले लेता है, जिससे उबर पाना हर व्यक्ति के लिए संभव नहीं होता।


क्या कहते हैं मनोचिकित्सक?

मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल के निजी अस्पताल के मनोचिकित्सक डॉ. सत्यकांत त्रिवेदी ने बताया कि, पिछले कुछ सालों में विश्वभर में अवसाद ग्रस्त लोगों ने आत्महत्या के मामले में एक बड़ी महामारी का रूप धारण कर लिया है। हालही में हुए एक मनोचिकित्सकीय शोध में भी 90 फीसदी आत्महत्याओं का कारण अवसाद को ही माना गया। डॉ. त्रिवेदी के मुताबिक, ये बात भी सामने आ चुकी है कि, विश्वभर में हर 3 सेकेंड में एक व्यक्ति आत्महत्या करने का प्रयास करता है और हर 40 सेकेंड में एक व्यक्ति इसमें सफल भी हो जाता है। इस हिसाब से अंदाजा लगाया जाए तो साल भर में करीब 15 लाख लोग विश्वभर में आत्महत्या कर लेते हैं। हालांकि, इस समस्या से निजात दिलाने में एक मनोचिकित्सक की अहम भूमिका होती है।


आत्महत्या के लक्षण ऐसे पहचाने

डॉ. त्रिवेदी के मुताबिक, आत्महत्या की प्रवृति 15 से 24 साल के बच्चों में सबसे अधिक देखी जा रही है। ऐसे लोगों को तुरंत किसी मनोचिकित्सक से परामर्श करना बेहद जरूरी होता है। डॉ. त्रिवेदी ने बताया कि, डिप्रेशन का शरीर व्यक्ति को तीन तरह से पहचाना जा सकता है। पहला ये कि, या तो वो चुपचाप रहना ही पसंद करता हो, इसमें उसके व्यवहार जैसे वह चुपचाप रहता हो, कहीं आना-जाना पसंद नहीं करते हुए अकेलेपन का शिकार हो। वहीं, आमतौर पर उसके शब्दों से ऐसी सोच जाहिर हो, मानों वो सोचता हो कि, अब जीवन में कुछ नहीं रखा है, उसकी कोई मदद नहीं कर सकता, मर जाना ही एक मात्र इस समस्या का समाधान है। इसके अलावा भावनात्मक रूप से उसके चेहरे पर बहुत ही उदासी रहती हो। इस तरह के लक्षण अगर किसी भी व्यक्ति के साथ दो सप्ताह तक यानी 10 से 15 दिनों तक लगातार दिख रहा हो तो उसे बिना समय बर्बाद किए मनोरोग चिकित्सक को दिखाएं, ताकि, स्थितियां बिगड़वे से पहले ही किसी बड़ी विपदा से बचा जा सके।

 

ये भी हैं डिप्रेशन के खास लक्षण

-ठीक से नींद न आना
-कम भूख लगना
-अपराध बोध होना
-हर समय उदास रहना
-आत्मविश्वास में कमी
-थकान महसूस होना और सुस्ती
-उत्तेजना या शारीरिक व्यग्रता
-मादक पदार्थों का सेवन करना
-एकाग्रता में कमी
-ख़ुदकुशी करने का ख़्याल
-किसी काम में दिलचस्पी न लेना


इस तरह करें डिप्रेशन से बचाव

डॉ. त्रिवेदी के मुताबिक, कुछ दिनों पहले वर्ल्ड हेल्थ ऑर्गेनाइजेशन (WHO) द्वारा जारी रिपोर्ट में सामने आया कि, पिछले एक दशक में डिप्रेशन के मामलों में 18 फीसदी की बढ़ोतरी हुई है। रिपोर्ट में सबसे चौंकाने वाली बात ये थी कि, 25 फीसदी भारतीय किशोरों का डिप्रेशन का शिकार बताया था। उन आंकड़ों पर न जाते हुए आइए हम बात करते हैं डिप्रेशन के लक्षणों और इस मानसिक बीमारी से निपटने के कुछ तरीक़ों की।


डिप्रेशन से बचाएंगे ये खास 5 टिप्स

1-बात करें, मदद मांगे

डिप्रेशन के शिकार लोग इससे उबरने के लिए उन लोगों से ज्यादा से ज्यादा बात करें जिनपर वो भरोसा करते हों या अपने प्रियजनों से संपर्क में रहना ज्यादा बेहतर विकल्प होगा। आप खुलकर अपनी समस्याएं उनसे शेयर करें और परिस्थितियों से लड़ने के लिए उनकी मदद मांगें। इसमें शर्म जैसी कोई बात नहीं। हमारे सबसे क़रीबी लोग यदि हमें बुरे समय से बाहर नहीं निकालेंगे तो उनका करीबी होना किस मतलब का।


2-सेहतमंद खाएं और रोज़ाना करें व्यायाम

सेहतमंद और संतुलित खानपान करने से मन शांत रहता है। कई वैज्ञानिक शोधों में ये बात भी प्रमाणित हुई है कि, व्यायाम अवसाद को दूर करने का सबसे अच्छा तरीक़ा है। जब हम व्यायाम करते हैं तब सेरोटोनिन और टेस्टोस्टेरोन जैसे हार्मोन्स रिलीज़ होते हैं, जो दिमाग़ को स्थिर करते हैं, जिससे डिप्रेशन को बढ़ाने वाले विचार आने कम होते हैं। व्यायाम से हम न सिर्फ सेहतमंद रहते हैं, बल्कि शरीर में सकारात्मक ऊर्जा भी बढ़ती है।


3-दोस्तों से जुड़ें और नकारात्मकता से रहें दूर

अच्छे दोस्त आपके मूड को अच्छा रखने का हर संभव प्रयास करते हैं। इनसे आपको जरूरी सहानुभूति भी मिलती रहती है। ये आपकी बातों को ध्यान से सुनते हैं। डिप्रेशन के दौर में यदि कोई हमारे मनोभावों को समझे या धैर्य से सुन भी ले तो हमें अच्छा लगता है। हालांकि, आप ऐसे लोगों से दूरी बनाकर रखें जिनमें नकारात्मकता भरी हुई है। ऐसे लोग हमेशा सामने वाले का मनोबल गिराते हैं।


4-नियमित रूप से छुट्टियां लें

एक ही ऑफ़िस, शहर और दिनचर्या भी कई बार बोरियत पैदा करने वाले कारक होते हैं, जो आगे नकारात्मक विचार और फिर डिप्रेशन को बढ़ावा देते हैं। माहौल बदलते रहने से नकारात्मक विचारों की छटती होती रहती है। यदि लंबी छुट्टी न मिल रही हो तो सप्ताहांत पर ही किसी ऐसे स्थान पर जाएं, जहां ज्यादा लोग इंटरटेनमेंट के लिए जाते हैं। यहां लोगों के अच्छे व्यवहार को केच करने की कोशिश करें। आसपास घटित कोई हसी मजाख की बात को दिमाग में नोट करें। शोध में ये बात सामने आई है कि, लगातार कई सप्ताह तक काम में लगे रहने वाले लोगों की तुलना में वीकएंड पर परिवार या दोस्तों के साथ छुट्टी मनाने वाले लोग बहुत कम अवसादग्रस्त होते हैं।


5-नींदभर सोएं

एक अच्छी और पूरी रात की नींद हमें सकारात्मक ऊर्जा से भर देती है। अध्यनों से पता चला है कि रोज़ाना 6-7 घंटे सोने वाले व्यक्ति में किसी कम नींद लेने वाले व्यक्ति के मुकाबले अवसाद के लक्षण कम पाए जाते हैं। इसलिए हमें अपनी नींद से समझोता नहीं करना चाहिए।

Home / Bhopal / 90% लोग डिप्रेशन के कारण कर लेते हैं सुसाइड, जानिए इससे बचाव के खास तरीके

Copyright © 2024 Patrika Group. All Rights Reserved.