भोपाल. कुछ कर गुजरने का जुनून हो तो कोई भी काम असंभव नहीं है. मध्यप्रदेश के नीरज चौहान ने भी इसकी मिसाल पेश की है. घने जंगलों से घिरे रायसेन जिले के छोटे से गांव अरका के रहनेवाले नीरज ने लंदन जाकर अपनी नई पहचान स्थापित कर ली है. वे लंदन में पढ़ाई पूरी कर इनवायरमेंटल एक्सपर्ट के रूप में देश के पर्यावरण के लिए काम करना चाहते हैं. जानिए नीरज की कहानी, उनकी ही मुुंहजुबानी—
मैं रायसेन जिले के अरका गांव से ताल्लुक रखता हूं लेकिन पढ़ाई भोपाल में हुई है। मैं पढ़ाई में एवरेज स्टूडेंट्स था। किसान परिवार से हूं तो पर्यावरण से शुरू से ही लगाव रहा। पिता और चाचा के साथ खेती का काम भी किया। तभी लगा कि पर्यावरण के क्षेत्र में कॅरियर बनाया जा सकता है। एक निजी कॉलेज से इकोनॉमिक्स ऑनर्स में ग्रेजुएशन किया। सोशल एक्टिविटीज से जुडकऱ पर्यावरण के लिए काम करने में अच्छा लगने लगा।
मैंने लंदन यूनिवर्सिटी के लिए आवेदन किया था लेकिन कोरोना के चलते दो साल का इंतजार करना पड़ा। आर्थिक स्थिति मजबूत नहीं थी। 2020 में ही मप्र शिक्षा विभाग की योजना विदेश अध्ययन छात्रवृति के बारे में जानकरी मिली। मेहनत की और टॉपकर छात्रवृति पाई। मैं दो महीने पहले ही लंदन आया हूं।
यहां एक साल पढ़ाई करने के बाद डिग्री हासिल कर पाऊंगा। देश में पर्यावरण का बहुत नुकसान हो रहा है। इसके लिए इनवायरमेंटल एक्सपर्ट की जरूरत होगी। मैं डिग्री पूरी करने के बाद भारत आकर सरकारी विभागों के साथ पर्यावरण और भारत के हित में काम करना चाहता हूं।
अनुभव यहां नया माहौल मिला। सामाजिक जीवन प्रभावित हुआ है। पढ़ाई का तरीका नया है। प्रैक्टिल नॉलेज पर ज्यादा फोकस है। डेवलप कंट्री है तो रहने की दिक्कत नहीं है। लोग पैसे के पीछे नहीं भागते, खुद की खुशहाली पर ध्यान देते हैं।
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