इसका एक बड़ा कारण यह भी था कि चुनाव में 50 प्रतिशत सीटें छात्राओं के लिए रिजर्व की गई थीं, लेकिन चुनाव होने के ठीक अगले दिन उच्च शिक्षा विभाग ने इस योजना पर रोक लगा दी है। इस योजना पर लगी इस रोक से एबीवीपी पर सबकी नजरें टिक जाएंगी। क्योंकि सरकारी कॉलेजों की छात्राओं से जुड़ी योजना है। वहीं एबीवीपी ने दावा किया है कि करीब 85 प्रतिशत कॉलेजों में उनको समर्थित छात्र अध्यक्ष बने हैं।
अपर मुख्य सचिव बीआर नायडू का कहना है कि वर्तमान में इस योजना की उपयोगिता नहीं बची है, इसे बंद करने का अन्य कोई कारण नहीं है। सरकारी कॉलेजों के प्राचार्यों को आदेश जारी किए हैं कि इस योजना के तहत 30 दिसंबर से स्वीकृति और आहरण की कार्रवाई बंद की जाए। साथ ही सभी छात्राओं को भी इसकी जानकारी दी जाए।
हजार रुपए के करीब मिलता था किराया : योजना 2009—10 से लागू की गई थी। कॉलेज से पांच किमी की दूरी या इससे अधिक दूरी पर रहने वाली छात्राओं को पांच रुपए रोजाना के हिसाब से भुगतान किया जाता था। सालभर में उसे करीब एक हजार रुपए राशि मिलती थी।
किसी भी स्थिति में सरकार बिना पूर्व सूचना के इस तरह योजना बंद नहीं कर सकती। यह गलत निर्णय है। इसका एबीवीपी विरोध दर्ज करेगी। सीधे तौर पर गरीब वर्ग की छात्राओं को परेशानी होगी। इसका जवाब मांगा जाएगा।
– हर्ष चंदेल, विभाग प्रमुख एबीवीपी
सरकार की नीति हमेशा से स्टूडेंट की विरोधी रही हैं। इसकी राशि बढ़ाने की बजाय योजना ही बंद कर दी गई। इसके खिलाफ एनएसयूआई विरोध करेगी साथ ही छात्राओं के लिए पूरा किराया माफ करने की मांग करेगी।
– आशुतोष चौकसे, जिला अध्यक्ष एनएसयूआई
इधर, अब निजी कॉलेजों में चुनाव को लेकर चर्चाएं शुरू –
सरकारी और अनुदान प्राप्त गैर सरकारी कॉलेजों के बाद अब निजी कॉलेजों में छात्रसंघ चुनाव की चर्चा जोरों पर है। हाईकोर्ट ने तो चुनाव कराने का आदेश दिया है, लेकिन अटकलें यह भी लगाई जा रही हैं कि उच्च शिक्षा विभाग परीक्षाओं के कारण चुनाव प्रक्रिया टाल भी सकता है। उच्च शिक्षा विभाग ने सभी कॉलेजों में एक साथ चुनाव कराने की अधिसूचना जारी की थी। अधिसूचना जारी करने के अगले दिन निजी कॉलेजों को इस चुनाव प्रक्रिया से हटाने का निर्णय लिया था। जिस पर एनएसयूआई ने हाईकोर्ट में याचिका दायर कर रखी थी। एेसे में अब उच्च शिक्षा विभाग निजी कॉलेजों में चुनाव नहीं कराता है तो हाईकोर्ट के आदेश की अवहेलना मानी जाएगी। प्रदेशभर में ८५० से अधिक निजी कॉलेज हैं।