राहुल से नहीं मिल पाया बच्चा
रोज अखबार बांटने का काम करने वाला कौशल शाक्य नाम का यह बच्चा राहुल गांधी के दौरे के वक्त उनसे मिलने की कोशिश करता रहा, लेकिन एसपीजी सुरक्षा के चलते वो उन तक नहीं पहुंच पाया। इसे बीजेपी ने मुद्दा बना लिया और कांग्रेस को घेरना शुरू कर दिया। गौरतलब है कि 2013 में जब राहुल गांधी भोपाल आए थे तो सड़क किनारे अखबार बेचने वाले इस बच्चे की शिक्षा और पढ़ाई का खर्च उठाने का वायदा किया था। राहुल के निर्देश के बाद कांग्रेस ने इस बच्चे को ‘गोद’ ले लिया था।
तो बीजेपी के हाथ लगा मुद्दा
जब बच्चा राहुल गांधी से नहीं मिल पाया तो बीजेपी ने इस मुद्दे को उठा लिया। बीजेपी मध्यप्रदेश के प्रवक्ता डॉ. नरोत्तम मिश्रा ने प्रेस कांफ्रेंस की और आरोप लगाया कि राहुल गांधी, आरोपों की राजनीति करते हैं और बीजेपी विकास की बात कहती है।
और क्या बोले नरोत्तम मिश्र
-बीजेपी प्रवक्ता ने आरोप लगाया कि वे अखबार बेचने वाले एक गरीब बच्चे से किया वायदा भी परा नहीं कर सके। राहुल गांधी का रोड शो एक पूरा प्रायोजित कार्यक्रम था, कार्यक्रम में जो प्रश्न भी आए, वो पूछे ही नहीं गए थे।
-राहुल गांधी जहां भी गए कांग्रेस की सरकार नहीं बन पाई।-सीएम शिवराज सिंह के नेतृत्व में बीजेपी लगातार जीत रही है और हम चौथी बार भी सरकार बनाएंगे।
पांच साल पहले राहुल से मिला था कौशल
पांच साल पहले 2013 को जब राहुल गांधी एक भोपाल आए थे, तब भोपाल की सड़कों के किनारे अखबार बेचते हुए नाबालिग कौशल शाक्य पर उनकी नजर पड़ गई थी। इसके बाद राहुल ने बच्चे से बातें कीं और पूछा कि तुम पढ़ने जाते हो। तो उस बच्चे ने कहा कि मैरे पास इतने पैसे नहीं हैं कि वो स्कूल जा सके। इस पर राहुल ने अपनी पॉकेट से एक हजार रुपए का नोट निकाला और उसे देने लगे, लेकिन उस बच्चे ने सिर्फ एक रिपए मांगा। वो भी अखबार की कीमत का एक रुपया मांगा। उसने एक हजार रुपए लेने से इनकार कर दिया।
राहुल को उस बच्चे की खुद्दारी बेहद पसंद आई। उन्होंने कहा कि बच्चे की पढ़ाई का खर्चा वे खुद उठाएंगे। हर माह एक हजार रुपए पढ़ने के लिए उस बच्चे को पहुंचाने का वायदा किया गया।
-राहुल गांधी के निर्देश पर बड़े नेताओं ने उस बच्चे का एडमिशन राजधानी के एक स्कूल में करवा दिया।
-एक साल तक तो एक हजार रुपए मिलते रहे, लेकिन बाद में यह पैसा आना बंद हो गया।
-जब यह खबर मानव संसाधन विकास मंत्रालय की तत्कालीन मंत्री स्मृति ईरानी तक पहुंची तो उन्होंने उस बच्चे का एडमिशन केंद्रीय स्कूल में करवा दिया।
-इसके विरोध में कांग्रेस के नेता विरोध में उतर आए थे। कुछ समय बाद बच्चे की पढ़ाई का मामला ठंडे बस्ते में पहुंच गया।