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अटल के साथ फिर नजर आएंगे आडवाणी, चुनावी मंच पर लगेगा बराबर का कटआउट

अटल-आडवाणी के नाम पर वोट मांगेगी भाजपा, भाजपा को देश की नंबर दो सियासी पार्टी बनाने वाली रथ यात्रा का भी होगा जिक्र

भोपालAug 26, 2018 / 09:21 am

Arun Tiwari

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अटल के साथ फिर नजर आएंगे आडवाणी, चुनावी मंच पर लगेगा बराबर का कटआउट

भोपाल. भाजपा की राजनीति में हाशिए पर चल रहे पूर्व उपप्रधानमंत्री लालकृष्ण आडवाणी भी अब चुनावी मंच पर प्रमुखता से नजर आएंगे। पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी के बराबर में आडवाणी का बड़ा कटआउट नजर आएगा। अटल के निधन के बाद उनके अस्थि कलश विसर्जन से राजनीतिक फायदा उठाने का आरोप झेल रही भाजपा ने उपेक्षित आडवाणी को भी चुनाव के दौरान प्रमुख चेहरा बनाने की तैयारी कर ली है।
विधानसभा चुनाव के साथ-साथ 2019 के लोकसभा चुनाव में भी अटल-आडवाणी की जोड़ी का चुनावी फायदा उठाया जाएगा। भाजपा को लगता है कि पीएम मोदी के समर्थक चुनाव में उनका साथ देंगे, लेकिन देश में एक बड़ा वर्ग अटल-आडवाणी को पसंद करता है। उनकी उपेक्षा से जो भाजपा से छिटक गए हैं वो साथ आ जाएंगे।
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अटल-आडवाणी कमल निशान
म प्र के सियासी मंच पर अटल-आडवाणी व कमल निशान दिखाई देगा। भाजपा अध्यक्ष पहले ही कह चुके हैं कि विधानसभा चुनाव संगठन के चेहरे पर लड़ा जाएगा। इस जोड़ी को संगठन का चेहरा बनाया जाएगा। मंच पर राजमाता सिंधिया भी नजर आने वाली हैं। प्रदेश की राजनीति और सीएम शिवराज सिंह चौहान पर इन दोनों नेताओं का बहुत प्रभाव है।

2014 में भाजपा की राजनीति के केंद्र में नरेंद्र मोदी के आने से पहले सीएम हर बड़े फैसले लेने के पहले इनसे मंत्रणा करने दिल्ली जाते थे। 2014 के बाद अटल-आडवाणी मंच व भाषण से गायब हो गए। फिर सीएम के भाषणों में इनका जिक्र होगा। बड़े स्क्रीन पर दृश्य व भाषण सुनाए जाएंगे। आडवाणी की रथ यात्रा का जिक्र होगा, जिसने भाजपा को देश की नंबर दो सियासी पार्टी बना दिया था। राम मंदिर और हिंदुत्व की मजबूत जमीन तैयार की थी।

उत्तरप्रदेश में हो चुकी है शुरुआत
पश्चिम उत्तरप्रदेश में भाजपा ने राजनीतिक समीकरण के तहत दलित, पिछड़े और जाट वोटों को साधने के लिए डॉ. आंबेडकर और चौधरी चरण सिंह के बड़े-बड़े होर्डिंग लगाए हैं। लंबे समय से अलग-थलग पड़े आडवाणी के कटआउट भी अटल के साथ लगाए गए हैं। इसको 2019 के चुनाव से जोडकऱ देखा जा रहा है।
एंटी इन्कमबेंसी दूर करेगी जोड़ी
भाजपा को लगता है, मप्र में 15 साल की एंटी इन्कमबेंसी को दूर करने में अटल-आडवाणी की जोड़ी मददगार साबित होगी। 23 हजार ग्राम पंचायत व हर वॉर्ड में अटल की श्रद्धांजलि सभा कर पार्टी लोगों की उनके प्रति श्रद्धा को सियासी फायदे में बदलना चाहती है। अटल-आडवाणी के प्रति लोगों की संवेदना को भाजपा चुनावी लाभ बनाकर मौजूदा विधायकों और सरकार के प्रति नाराजगी दूर करने की फिराक में है। कांग्रेस का कहना है कि 10 अलग-अलग नदियों में यात्रा निकालकर अस्थि कलश विसर्जन कर भाजपा ने प्रदेश के बड़े हिस्से में सहानुभूति का माहौल बनाने की कोशिश की है। पूर्व सीएम दिग्विजय सिंह का कहना है कि अस्थि कलश विसर्जन में भी भाजपा राजनीति से नहीं चूकी।
अटल-आडवाणी हमेशा भाजपा के प्रेरणा स्त्रोत रहे हैं। अटल की प्रेरणा और जीत का मार्ग प्रशस्त करने आडवाणी हमारे साथ हैं। भाजपा के लिए ये चेहरे पहले भी थे और आज भी हैं। मंच पर भी ये जोड़ी प्रमुखता से नजर आएगी।
लोकेंद्र पाराशर, मीडिया प्रभारी भाजपा

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