प्रमुख रूप से बावडि़याकलां, चेतक और सुभाष फाटक रेलवे ओवर ब्रिज पर गर्डर लांचिंग का काम जारी है। वाराणसी में जिस साइट पर हादसा हुआ, वहां भी चंद रोज पहले कांक्रीट का भारी भरकम गर्डर कॉलम पर रखा गया था। यहां वाहनों के गुजरने की रफ्तार से पैदा होने वाले कंपन और तकनीकी खामियों के चलते ये नीचे आ गिरा। शहर में भी इस तरह की लापरवाही देखने मिल रही है। यातायात का सबसे ज्यादा दबाव सुभाष फाटक और चेतक ब्रिज पर रहता है, तीसरी साइट बावडि़याकला पर २२ मई तक मरम्मत कार्य के चलते यातायात बंद कर दिया गया है।
बूढ़े पुलों पर भारी ट्रैफिक
शहर के कई पुल बूढ़े पुल की श्रेणी में शुमार हो चुके हैं। इसके बाद भी इन पुलों पर लगातार ट्रैफिक चलता रहता है। चेतक ब्रिज भी इस श्रेणी में आ चुका है और इस पर भी लगातार ट्रैफिक का दबाव बढ़ता ही जा रहा है। यही नहीं इस पुल को और चौड़ा करने की भी कवायद की जा रही है।
चेतक ब्रिज : १९७५ में बनकर तैयार ब्रिज की चौड़ाई बढ़ाई जा रही है। १२ से २० मीटर चौड़ा करने ब्रिज के जर्जर किनारों को तोडक़र यहां गर्डर रखे जा रहे हैं।
सुभाष फाटक : मैदा मिल रोड से प्रभात चौक को जोडऩे के लिए ब्रिज पर दो दर्जन से ज्यादा कंक्रीट गर्डर रखे जा रहे हैं। फाटक के पास गुजरने वाले हिस्से पर प्रभात चौक की तरफ भारी यातायात इन गर्डर के नीचे से गुजरता है।
बावडि़या ब्रिज : दानापानी से होशंगाबाद रोड की तरफ बन रहे ब्रिज के नीचे से गुजरने वाला रास्ता चालू है। यहां जल्द गर्डर लांचिंग होना है। ब्रिज का ज्यादातर हिस्सा सडक़ किनारे है।