अब झंडे के तले किया जाएगा आंदोलन
इसके अलावा संस्था अपना एक झंडा भी बना लिया है, जिसे काला और सफेद रंग दिया गया है। सपाक्स का कहना है कि, आगामी दिनो में संस्था की तरफ से कोई भी आंदोलन किया जाएगा तो इसी झंडे के तले किया जाएगा। सपाक्स के संरक्षक हीरालाल त्रिवेदी ने गुरुवार के बंद को देखते हुए सपाक्स की विभिन्न इकाईयों के लिए स्पष्टीकरण जारी करते हुए कहा है कि, इस बात को खासतौर पर समझना होगा कि, संस्था ने बंद का आव्हान नहीं किया, बल्कि उसने बंद को समर्थन दिया है। उन्होंने कहा है कि व्यापारी संगठनों के साथ बैठक कर बंद को लेकर समर्थन लें। वहीं माइक की अनुमति लेकर शहरी क्षेत्र के लोगों से अपील करें। साथ ही लोगों को एट्रोसिटी एक्ट में हुए संशोधन और उसके प्रभाव के बारे में बताएं। ताकि वह अपनी स्वेच्छा से आंदोलन में जुड़कर बंद को सफल बनाएं।
लोगों को समझाइश की अपील
इसके अलावा उन्होंने सपाक्स के कार्यकर्ताओं से अपील की है कि, वह अपने अपने जिलों के कलेक्टर कार्यालय पहुंचकर राष्ट्रपति के नाम ज्ञापन सौंपे। जिसमें एट्रोसिटी एक्ट संशोधन 2016 और 2018 को वापस लेने की मांग हो। इसके अलावा प्रदेश के ग्वालियर में सपाक्स द्वारा एक्ट में संशोधन के लिए खासा विरोध देखा जा रहा है। सपाक्स संगठन ने विरोधस्वरूप महापौर विवेक शेजवलकर को चूड़ियां और श्रृंगार सामग्री भेंट की। इसके साथ ग्वालियर पहुंचे भाजपा के प्रदेश प्रभारी विनय सहस्त्रबुद्धे को भी आंदोलनकारियों ने काले झंडे दिखाए।