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51 लाख किसानों के कर्जमाफी में कृषि विभाग को छूट रहा है पसीना

51 लाख किसानों के कर्जमाफी में कृषि विभाग को छूट रहा है पसीनाटारगेट 25 लाख किसानों के कर्जमाफी का था, लेकिन अभी तक मात्र 19 लाख किसानों के खाते में पहुंची राशि

भोपालMar 09, 2019 / 09:22 am

Ashok gautam

saharanpur

kisan

भोपाल। प्रदेश के 51 लाख से अधिक किसानों के कर्जमाफी के दस्तावेज तैयार करने में कृषि और सहकारिता विभाग के अधिकारियों की हालत खराब हो रही है।

तमाम आपत्तियों और आधे-अधूरे दस्तावेजों के चलते अभी तक मात्र 19 लाख किसानों के खाते में कर्जमाफी की राशि पहुंच पाई है। कर्जमाफी से जुड़े अधिकारियों का मानना है कि सभी किसानों को कर्जमाफी का लाभ दिलाने में करीब एक साल से अधिक वक्त लग सकता है।

कर्जमाफी के दस्तावेज सत्यापन में अधिकारियों की हालत खराब हो रही है। इसकी सबसे बड़ी वजह यह है कि न तो किसानों ने पूरे रिकार्ड दिए हैं और न ही समितियों और बैंकों के पास प्रापर रिकार्ड तैयार हैं।
समितियों और बैंकों की बीस साल पुराने रिकार्ड खंगालने में हालत खराब हो रही है। सबसे बड़ी बात यह है कि उन्हें इसकी एक गणितीय जानकारी शासन के पास भेजनी है।

इसमें उन्हें यह बताना है कि किसान जब एनपीएस हुआ था, उस दौरान पर कितना कर्ज और ब्याज दोनों अलग-अलग कितना था। इस दस्तावेज पर किसानों की भी सहमति होना जरूरी है, बिना किसान की सहमति से क्लेम पास नहीं होगा। इसके साथ में उसके परिवार में सभी सदस्यों की सहमति भी होनी होती है, जिन्होंने कर्ज लेते समय कागजों पर हस्ताक्षर किए थे। आपत्तियों के चलते ऋण माफी योजना में देरी लग रही है।
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एक माह के अंदर 5 लाख आपत्तियां
किसान ऋण माफी में 5 लाख आपत्तियां जिला समितियों के पास आई हैं। इसकी संख्या हर दिन बढ़ती जा रही है। इसमें सबसे ज्यादा आपत्तियां ऋणी किसानों के परिवार की तरफ से समितियों के पास आई हैं।
इसके बाद दूसरी सबसे ज्यादा आपत्तियां बैंक, समिति और किसान के बीच में रिकार्डों में गलत एंट्री को लेकर है। इसके अलावा कई किसानों के आधार नम्बर और बैंक एकाउंट नम्बरों में गड़बडिय़ों को लेकर समितियों ने आपत्ति लगाई है।
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समितियों को मिले 8 सौ करोड़ रुपए
सरकार ने समितियों को आठ सौ करोड़ रूपए जारी किए हैं। इससे समितियों नए वित्तीय वर्ष एक अप्रैल से किसानों को कर्ज देना शुरू कर देंगी।
बारिश में किसान खाद-बीज एडवांस में खरीदते हैं, क्योंकि बारिश में खाद-बीज ले जाने पर भींगने डार बना रहता है और कई गांव ऐसे हैं जहां बारिश में वाहन ले जाने में दिक्तत होती है। यह राशि के मिलने से जहां समितियों की माली हालत भी ठीक हो जाएगी, वहीं यहा समितियां डिफाल्टर होने से बच जाएंगी।

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