सीधी जिले के अंतर्गत चुरहट विधानसभा सीट आती है। इस सीट को अर्जुन सिंह का गढ़ कहा जाता है। अर्जुन सिंह के बाद इस सीट से अजय सिंह ‘राहुल भैया’ चुनाव लड़ते आ रहे हैं। लेकिन 2018 के विधानसभा चुनाव में उन्हें भाजपा प्रत्याशी ने चुरहट से शिकस्त दे दी। विंध्य क्षेत्र में चुनाव के दौरान अजय सिंह राहुल भैया को मध्यप्रदेश का सीएम उम्मीदवार बताया जा रहा था, लेकिन वो खुद अपना चुनाव हार गए। विधानसभा चुनाव में हार के बाद कांग्रेस ने उन्हें लोकसभा का उम्मीदवार बनाया है। अब अजय सिंह का चुनावी करियर दांव पर है?
लोगों से भावुक अपील कर रहे है अजय सिंह
अजय सिंह अपनी चुनावी रैलियों में लोगों से भावुक अपील कर रहे हैं तो जनता से जुड़ने के लिए सीधे बघेली अंदाज में बात कर रहे हैं। हाल ही में उन्होंने सिंगरौली के एक कार्रक्रम को संबोधित करते हुए भावुक अपील की थी। उन्होंने कहा था कि ये मेरा आखिरी चुनाव है। अगर इस बार आप लोगों ने गलती की तो आपको पूछने वाला कोई नहीं होगा। पार्टी मुते तो राज्यसभा भेज देगी पर आप लोगों का क्या होगा। तो वहीं, सीधी में उन्होंने कहा था कि इस बार अगर कोई मोदी के नाम पर वोट मांगने आए तो उन्हें वोट मत देना क्योंकि इस बार लड़ाई राहुल भैया और रीति पाठक के बीच हैं। बता दें कि रीति पाठक सीधी से भाजपा की उम्मीदवार हैं।
चुरहट विधानसभा सीट से विधायक रहे अजय सिंह हाल ही में चुनाव हार चुके हैं। उसके बाद वो सतना लोकसभा सीट से चुनावी तैयारी में लगे हुए थे। 2014 के लोकसभा चुनाव में वो भाजपा उम्मीदवार गणेश सिंह के 8 हजार वोटों से हारे थे। 2014 के बाद वो लगातार क्षेत्र में सक्रिय थे। लेकिन पार्टी ने उन्हें सीधी से उम्मीदवार बनाया। यहां चुनावी हालात कांग्रेस के लिए आसान नहीं हैं। यहां की आठ विधानसभा सीट में से सात बीजेपी के पास हैं तो एक कांग्रेस के पास है। करीब दो लाख से ज़्यादा का वोट अंतर विधानसभा चुनाव में रहा है।
सीधी 2007 तक आरक्षित सीट थी। करीब 17 लाख यहां वोटर्स हैं जिसमें से 40 फीसदी एससी एसटी वर्ग से हैं जिसे कांग्रेस का वोट बैंक माना जाता है लेकिन विधानसभा चुनाव यहां कांग्रेस जातिगत समीकरणों के कारण हारी। यहां कोई मज़बूत ब्राह्मण नेता नहीं होना भी कांग्रेस के लिए भारी पड़ा है। अजय सिंह के ख़िलाफ भाजपा की रीति पाठक मैदान में हैं। पिछले चुनाव में पाठक ने कांग्रेस उम्मीदवार को 1 लाख से ज्यादा वोटों से हराया था। 15 साल से मध्यप्रदेश में अजय सिंह भाजपा के खिलाफ संघर्ष करने वाले नेताओ में शुमार हैं। नेता प्रतिपक्ष रहते हुए उनकी छवि सत्ता के साथ समझौते की नहीं रहीं। दरअसल अजय सिंह के विधानसभा चुनाव हारने का एक कारण उनका घरेलू विवाद भी है। उनके खिलाफ उनकी मां द्वारा दायर किए गए घरेलू हिंसा के मामले को भाजपा ने जबर्दस्त भुनाया। इसका असर ये हुआ कि वे अपने ही गढ़ में चुनाव हार गए।