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मायवती की चेतावनी के बाद बैकफुट पर कमलनाथ सरकार, एससी-एसटी समुदाय के लोगों पर दर्ज केस होंगे वापस

मायवती की चेतावनी के बाद बैकफुट पर कमलनाथ सरकार, एससी-एसटी समुदाय के लोगों पर दर्ज मुकदमें होंगे वापस

भोपालJan 01, 2019 / 03:01 pm

shailendra tiwari

mayawati

मायवती की चेतावनी के बाद बैकफुट पर कमलनाथ सरकार, एससी-एसटी समुदाय के लोगों पर दर्ज मुकदमें होंगे वापस

भोपाल. मध्यप्रदेश की कमलनाथ सरकार मायावती की चेतावनी के बाद बैकफुट पर आ गई है। मध्यप्रदेश के विधि एवं विधायी मंत्री पीसी शर्मा ने मंगलवार को कहा कि 2003 से अभी तक ते सभी राजनीतिक केस वापस लिए जाएंगे। इसमें कांग्रेस, बहुजन समाज पार्टी, समाजवादी पार्टी और मेधा पाटकर के केस भी शामिल हैं। उऩ्होंने कहा कि चुनाव से पहले नियुक्त किए गए वकीलों की नियुक्तियों को निरस्त किया जाएगा। नए नोटरी एडवोकेट नियुक्त किए जाएंगे। कमलनाथ सरकार ने मायावती के चेतावनी के बाद मध्य प्रदेश में एसी-एसटी आंदोलन के दौरान दर्ज हुए सभी राजनैतिक केस वापस होंगे।

क्या कहा था मायावती ने
सोमवार को बसपा सुप्रीमो मायावती ने मध्यप्रदेश की कमलनाथ सरकार की मुश्किलें बढ़ाते हुए कहा था कि राजस्थान और मध्यप्रदेश सरकार भारत बंद को दौरान हुई हिंसा में एससी-एसटी समुदाय को लोगों पर दर्ज मुकदमों को वापस ले। अगर मप्र और राजस्थान में कांग्रेस सरकार ने केस वापस नहीं लिया तो बसपा उन्हें समर्थन देने पर दोबारा विचार करेगी। मायावती ने कहा कि अब दोनों ही राज्यों में अब कांग्रेस की सरकार है। राजनीतिक साजिस के कारण जिन एससी-एटी समुदाय के लोगों के खिलाफ केस लगाए गए थे, उन्हें वापस लिया जाए। अगर ऐसा नहीं किया जाता है, तो हम समर्थन पर दोबारा विचार करेंगे।
2 अप्रैल को हुई थी हिंसा
दरअसल, मार्च में सुप्रीम कोर्ट ने एससी-एसटी कानून ने बदलाव के आदेश दिए थे। जिसके विरोध में दलित संगठनों ने 2 अप्रैल को भारत बंद बुलाया था। इस दौरान मप्र, राजस्थान, उप्र और बिहार समेत 12 राज्यों में हिंसा फैली थी। इस हिंसा में 14 लोगों की मौत भी हुई थी। हिंसा के बाद प्रशासन ने दलित संगठनों के कार्यकर्ताओं पर केस दर्ज किए थे। बता दें कि भारत बंद का सबसे ज्यादा असर मध्यप्रदेश राजस्थान और बिहार में देखने को मिला था।

मप्र-राजस्थान में बसपा ने दिया है समर्थन

हाल ही में मध्यप्रदेश औऱ राजस्थान में हुए विधानसभा चुनावों में किसी भी पार्टी को पूर्ण बहुमत नहीं मिला है। दोनों ही राज्यों में कांग्रेस सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी है। मध्यप्रदेश में 230 विधानसभा सीटों में से कांग्रेस ने 114 सीटों पर जीत हासिल की। बहुमत के लिए 116 सीटें चाहिए। ऐसे में कांग्रेस को 3 निर्दलीय, 2 बसपा और 1 सपा के विधायक के समर्थन मिला हुआ है। वहीं, राजस्थान में कांग्रेस ने 99 सीटेंं जीतीं जबकि बहुमत के लिए 100 सीटों की जरूरत थी। कांग्रेस ने बसपा के साथ गठबंधन किया। राजस्थान में बसपा ने 6 सीटों पर जीत दर्ज की है।

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