सेना में इसी तरह की व्यवस्था है, जवानों को कहीं भी इसी तरह से ले जाया जाता है। ये जवान ट्रेनी थे, जो जबलपुर में मात्र 9 माह के लिए ट्रेनिंग में आए हुए हैं।
जबलपुर के कैंट एरिया में सेना के करीब 8 ट्रेनिंग इस्टीट्यूट हैं। जहां सेना के नव नियुक्त जवानों को ट्रेनिंग दी जाती है। ये यहां मात्र 9 माह के लिए ट्रेनिंग करने आए हैं।
इनका नाम मतदाता सूची के अंतिम प्रकाशन के बाद सूची में जोड़ा गया था। कैंट एरिया के करीब 35 मतदान केन्द्रों में इस जवानों के नाम सूची में जोड़े गए थे, ये सभी जवान पहली बार के वोटर हैं। हालांकि सेना के जवानों के लिए बैलेट पेपर उपलब्ध कराने की व्यवस्था आयोग में है।
लेकिन जिस तरह से सेना के जवानों के नाम केन्ट क्षेत्र की मतदाता सूची में जोड़े गए और ये लोग वोट करने गए, यह बात जांच कमेटी के गले नहीं उतर रही है। क्योंकि उस क्षेत्र में तीन हजार लोगों का नाम पूरक मतदाता सूची में जुड़वाया गया।
कमेटी ने उन मतदान केन्द्रों पर तैनात सुरक्षाकर्मियों तथा मतदान कर्मियों से भी बात-चीत की है, जिसके संबंध में उन लोगों का कहना था कि यह एरिया सेना की होने के कारण ट्रक में एक साथ मतदाताओं को लेकर आने के संबंध में न तो सख्ती दिखाई गई और न ही उनसे इस संबंध में पूछताछ की गई थी।
बताया जाता है कि शनिवार की शाम को कमेटी ने अपनी रिपोर्ट मुख्य निर्वाचन पदाधिकारी वीएल कांताराव को सौंप दी है। गौरतलब है कि कांग्रेस उम्मीदवार विवेक तन्खा ने दिल्ली में गुरुवार को भारत निर्वाचन आयोग के समक्ष शिकायत की थी कि केंट क्षेत्र में लगभग 40 बूथों पर सेना के जवानों ने नियमों के विपरीत मतदान किया है। उन्होंने 35 सौ सैन्य मतदाताओं पर फर्जी तरीके से मतदान करने के आरोप लगाए थे।
तर्क दिया था कि सभी सेना के मतदाताओं के घर के पते का उल्लेख नहीं था। शून्य पता दर्ज था। इस आधार पर सेना के जवान मतदान की पात्रता नहीं रखते। तन्खा ने आरोप लगाया था कि सैनिकों ने भाजपा के पक्ष में मतदान किया था।
इस मामले की रिपोर्ट मुझे मिल चुकी है। मैंने यह रिपोर्ट भारत निर्वाचन आयोग को भेजी है। रिपोर्ट में क्या है यह मैं नहीं बता सकता हूं। वी.एल. कांताराव, मुख्य निर्वाचन पदाधिकारी, मप्र