वर्तमान में प्रावधान के मुताबिक लोकसभा एवं राज्य विधानसभाओं में अनूसचित जातियों एवं अनुसूचित जन-जातियों के लिए स्थानों के आरक्षण के साथ-साथ एंग्लो इंडियन के प्रतिनिधित्व की भी व्यवस्था है। शुरू में इसे सिर्फ 10 सालों के लिए किया गया था, किंतु बाद में प्रत्येक 10 साल के लिए बढ़ाया जाने लगा। 25 जनवरी 2020 को आरक्षण की अवधि खत्म हो रही है। लिहाजा इसे बढ़ाना जरूरी है। संविधान के अनुच्छेद-168 के तहत आधे से ज्यादा राज्यों की विधायिका का अनुमोदन जरूरी है।
मध्यप्रदेश विधानसभा में एग्लो इंडियन के सदस्य रहे हैं। 15वीं विधानसभा के लिए भी एग्लो इंडियन सदस्य के मनोनयन के लिए राज्य सरकार ने कवायद पूरी कर राज्यपाल को नाम भेजा है, लेकिन यह फाइल राजभवन में लंबित है। अब संविधान संशोधन विधेयक पर मोहर लगने के बाद यह प्रस्ताव अपने आप खारिज हो जाएगा।