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भोपाल

अतिथि शिक्षक भर्ती: ऐसे जाने अपनी स्थिति, आ रही शिकायतें

आरोप है कि कई जिलों के कई स्कूलों में गुणवत्ताहीन और कम प्रतिशत वालों की भर्ती कर ली गई जबकि हाई परसेंट वालों को इस जॉब से दूर रखा गया।

भोपालNov 20, 2017 / 12:38 pm

दीपेश तिवारी

atithi siksak
भोपाल। मध्यप्रदेश के विभिन्न जिलों में अतिथि शिक्षकों की भर्ती के काफी समय पहले ही आदेश होने के बाद इनके आवेदन की आखिरी तिथि भी खत्म हो चुकी है। इसके साथ ही कई जगहों पर अतिथि शिक्षकों की भर्ती भी जारी है, लेकिन इसके बावजूद कई जगहों से लगातार भर्ती में मनमानी बरतने की शिकायतें भी सामने आने लगी हैं।
नियुक्ति में कई प्रधानाध्यापकों की मनमानी की सबसे ज्यादा शिकायतें आ रही हैं। जिसके चलते पीड़ित मामलों की जांच कराकर संबंधितों के विरूद्घ कड़ी कार्रवाई करने की मांग भी कर रहे हैं। आरोप है कि कई जिलों के कई स्कूलों में गुणवत्ताहीन और कम प्रतिशत वालों की भर्ती कर ली गई जबकि हाई परसेंट वालों को इस जॉब से दूर रखा गया।
सत्यापन: सत्यापन से पहले मोबाइल नंबर के साथ आधार कार्ड का जोड़ना बेहद जरुरी है। क्योंकि सत्यापन के दौरान चयनित को अपना मोबाइल नंबर भी देना होगा। वहीं इसमें किसी भी प्रकार धोखेबाजी या अन्य किसी के आधार नंबर प्रविष्ट करने की स्थिति में दंड का नियम हैं।
वहीं राज्य सरकार ने अतिथि शिक्षकों को संविदा अध्यापकों की भर्ती में 9 वर्ष की छूट का प्रावधान किया है। 9 वर्ष की छूट के लिए अभ्यर्थी के पास 3 शैक्षणिक सत्र का अनुभव होना जरुरी है। जिसमें कम से कम 200 दिन की उपस्थिति दर्ज हो।
इधर, शैक्षणिक सत्र के तीन महीने बाद हाई व हायर सेकंडरी स्कूलों में शिक्षकों की कमी को पूरा करने अतिथि शिक्षकों की आॅफलाइन भर्ती के आदेश भी जारी हो सके हैं। लेकिन इस प्रक्रिया को पूरा होने में अभी एक पखवाड़े का समय लग सकता है।
इतना ही नहीं, प्राइमरी और मिडिल स्कूलों में अतिथि शिक्षक भर्ती फिलहाल आॅनलाइन प्रक्रिया में अटकी है। इधर, स्कूलों में शिक्षक न होने से छात्रों की पढ़ाई प्रभावित हो रही है। इससे सरकार के शिक्षा की गुणवत्ता सुधारने की कवायद ही सवालों के घेरे में है।
जिले में शिक्षा सत्र शुरू हुए कई महीने बीत चुके हैं। छात्र तिमाही परीक्षा के इम्तिहान से भी गुजर चुके हैं। लेकिन सूत्रों का कहना है कि अब तक प्राइमरी और मिडिल स्कूलों में अब भी शिक्षकों की कमी बनी हुई हैं। इसके कारण स्कूलों में पढ़ाई प्रभावित हो रही है।
अतिशेष प्रक्रिया में भी विसंगती
अध्यापक एवं शिक्षक संघों के नेताओं ने आरोप लगाए कि अतिशेष सूची जारी होने के बाद भी विसंगती के चलते पोस्टिंग नहीं हो सकी है। इसके कारण भी स्कूलों में शिक्षकों की कमी बनी हुई है।
कर्मचारी नेताओं ने आरोप लगाए कि अतिशेष की सूची जारी होने के बाद रिक्त पद वाली ग्रामीण क्षेत्र की शालाओं को शहरी क्षेत्र में दर्शाया गया है, जिससे भी पोस्टिंग नहीं हो पा रही है। क्योंकि, इन पर आपत्ति लगी हुई हैं। बताया जा रहा कि अतिशेष में ज्यादातर प्राइमरी स्कूल के शिक्षक हैं। इसके कारण मिडिल स्कूलों में शिक्षकों की कमी बनी हुई है।
शिक्षकों की कमी वाले स्कूलों में अतिथि शिक्षकों की भर्ती जून माह में ही हो जाना चाहिए थी, जो अब तक नहीं हुई है। सरकार का रवैया शिक्षा को लेकर ठीक नहीं है। इसका खामियाजा बच्चों को भुगतना पड़ रहा है।
– राजमणि दुबे, प्रवक्ता, आजाद अध्यापक संघ
अभी तक अतिथि शिक्षकों की भर्ती नहीं होना दुर्भाग्यपूर्ण है। इसका खामियाजा बच्चों को भुगतना पड़ रहा है। साथ ही अतिथि शिक्षक बनने के लिए आवेदन करने वाले आवेदकों को भी बेरोजगारी का सामना करना पड़ रहा है।
– नरेंद्र भार्गव, जिलाध्यक्ष, राज्य अध्यापक संघ

इधर, तबादला नीति बनाने में ही शिक्षा विभाग ‘फेल’:-
प्रदेश में गुणवत्ता युक्त शिक्षा नीति लाने का दावा करने वाली राज्य सरकार शिक्षकों की तबादला नीति बनाने में ही फेल हो गई है। करीब 6 महीने की मेहनत के बाद शिक्षा विभाग ने तबादला नीति तैयार की है, लेकिन नीति मंजूर होने से पहले ही तबादला आदेश निकलने लगे हैं। जिसको लेकर नीति की पारदर्शिता पर सवाल उठ रहे हैं।
सरकार ने 20 साल में पहली बार पुरुष अध्यापकों के तबादले की नीति जारी की है। नीति 10 जुलाई.17 को जारी हुई और तीन दिन पहले पहली बार 4 हजार 607 अध्यापकों के एक से दूसरे जिले में तबादले किए गए। करीब हर जिले की तबादला सूची में ऐसे दर्जनों नाम हैं।
जिनमें अध्यापक का निकाय में ही स्कूल बदल दिया गया है। हैरत की बात तो यह है कि ऑनलाइन आवेदनों के सत्यापन के दौरान जिला शिक्षा अधिकारियों ने भी ऐसे प्रकरणों में सहमति दे दी। पहली ही तबादला सूची में अध्यापक ग्रामीण से शहरी क्षेत्रों में आ गए। जबकि अंतर निकाय संविलियन नीति में इसे प्रतिबंधित किया है। नीति के मुताबिक शहरी क्षेत्र में पदस्थ अध्यापक ग्रामीण क्षेत्र के स्कूल में तो जा सकता था, लेकिन ग्रामीण क्षेत्र से शहरी क्षेत्र में नहीं आ सकता है।
इतना ही नहीं, शहर से ग्रामों में जाने वालों की संख्या आने वालों से कम है। नीति की पोल खुलने पर स्कूल शिक्षा विभाग की सचिव दीप्ती गौढ़ मुखर्जी ने बताया कि ऑनलाइन सिस्टम में ऐसा संभव नहीं है। यदि गड़बड़ी होती है तो अंतरिम तबादला सूची से संबंधितों के नाम हटा दिए जाएंगे और उनके आवेदनों का सत्यापन करने वाले अफसरों पर कार्रवाई की जाएगी।

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