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भोपाल

15 साल में स्पंज जैसा नहीं रहा बड़ा तालाब का कैचमेंट, साफ पानी की जगह आती है गंदगी

– 45 छोटे बडे नाले भी दूषित कर रहे तालाब के पानी को, 26 बरसाती और 19 नालों से आता है बरसाती एवं दूषित जल

भोपालSep 28, 2019 / 12:37 pm

प्रवेंद्र तोमर

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भोपाल. बड़ा तालाब का कैचमेंट अब पहले की तरह स्पंजी नहीं रहा है। बरसात के पानी के साथ बह कर आ रही गंदगी, पॉलीथिन, सीवेज और खेती में उपयोग हो रहे रसायनों ने कैचमेंट के 70 फीसदी हिस्से को पथरीला बना दिया है। कैचमेंट एरिया में पनपने वाले सूक्ष्म जीव एवं देशी केंचुए मिट्टी में पनप नहीं पाते। इसका असर तालाब के पानी पर पड़ रहा है। एक तो वो दूषित हो रहा है दूसरा दिसंबर से लेकर जून माह तक पानी की कमी होने लगती है। अगर कैचमेंट स्पंजी होगा तो उसमें पानी रहेगा और तालाब इतनी तेजी से नहीं सूखेगा। प्रशासन कैचमेंट को बचाने के लिए बड़े स्तर पर पौधरोपण की बात कह रहा है। लेकिन प्रयास अभी सिर्फ बैठकों और कागजों तक ही सिमटे हुए हैं।

तालाब के 361 वर्ग किमी क्षेत्र के विशाल कैचमेंट को बचाने के लिए स्थानीय पौधे लगाने की जरूरत है, नाकि बाहरी और अन्य जगह पाए जाने वाले पौधे। जानकार बताते हैं कि कि 15 साल पुरानी स्थिति को रिकॉल करना होगा। कैचमेंट में उसी तरह घने प्लांटेशन की रफ्तार बढ़ानी होगी ताकि बरसात के बाद पौधो की नमी से कैचमेंट की मिट्टी पथरीली न बने। इस बार बरसात अच्छी हुई है, कैचमेंट में काफी पानी है। अगर जिम्मेदार प्रशासन, नगर निगम व अन्य एजेंसियां मिलकर बड़े स्तर पर सघन पौधरोपण करें तो इसका फायदा आने वाले गर्मियों के दिनों में दिखाई देगा और तालाब में भी पानी बचा रहेगा।

45 छोटे बड़े नाले भी कर रहे दूषित

बड़ा तालाब में लगभग 45 छोटे बडे नाले मिलते हैं, जिसमें से 26 बरसाती और 19 नाले ऐसे हैं जिनमें बरसाती एवं दूषित जल बहकर बड़ा तालाब में बहकर आता है। ये नाले 12 महीने पानी तालाब में छोड़ते हैं। इसे रोकने के लिए बडे कोहेफिजा के पास 5 एमएलडी, जमुनिया छीर के पास 3.5 एमएलडी, सूरज नगर में 2 एमएलडी तथा नीलबड़ क्षेत्र में 6 एमएलडी एसटीपी का निर्माण कार्य किया जा रहा है। इन सभी को 2020 तक पूरा करने का दावा है। ये प्रयास ठीक हैं, लेकिन इतने काफी नहीं कि इससे दूषित पानी को तालाब में मिलने से रोका जाए। इसके लिए और एसटीपी बनानी होंगी।

कैचमेंट बचाने के लिए ये करना होगा

– कैचमेंट एरिया 361 वर्ग किलोमीटर है । इसमें से 185 वर्ग किलोमीटर में पांच लाख पौधे लगे हैं। जबकि इतने बड़े कैचमेंट में 17 लाख पेड़ लगाने की जरूरत है।

– 34 जगहों पर चेक डैम बनाने की जरूरत है। कोहेफिजा के सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट से अभी पानी ट्रीट कर तालाब में छोड़ा जा रहा है। खानूगांव, बोरवन, बेहटा, बैरागढ़ में सीवेज बिना ट्रीट किए खुले में ही मिल रहा है।
– खेती में उपयोग हो रहे खतरनाक रसायन पर रोक लगानी होगी।

– जंगली पौधों की वजह से पानी की शुद्धता खराब हो रही है। इन्हें हटाना होगा।
– अतिक्रमण भी गंदा पानी तालाब में छोड़ रहे हैं, इन्हें तोडऩा होगा।

– बड़ा तालाब और उसके आस-पास के क्षेत्र मं पॉलीथिन पूरी तरह प्रतिबंध करनी होगी।


बड़ा तालाब को बचाना है तो कैचमेंट को स्पंजी बनाना होगा। पथरीली जमीन होने से उसमें न पानी जा पाता है न सूक्ष्म जीव, केंचुए उसमें पनप पाते हैं। इस कारण गर्मी के दिनों में पानी तेजी से सूख जाता है और भू जल में वृद्धि नहीं हो पाती।

सुभाष सी पांडे, पर्यावरणविद


कैचमेंट एरिया में बड़े स्तर पर प्लांटेशन के निर्देश दिए हैं। कैचमेंट से गंदगी और केमिकल न मिलें इस पर भी काम शुरू किया गया है।

तरुण पिथोड़े, कलेक्टर

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