माना जाता है इस दिन मां देवी सरस्वती का आविर्भाव हुआ था, यह तिथि वागीश्वरी जयंती और श्री पंचमी के नाम से भी जानी जाती है। इस बार यानि वर्ष 2019 में 10 फरवरी को बसंत पंचमी का त्योहार मनाया जाएगा।
इस बार बसंत पंचमी पर अमृतसिद्धी और शुभ योग का उत्तम संयोग बन बन रहा है।
बसंत ऋतु में सरसों कर फसल के कारण धरती पीली नजर आती है। इसीलिए लोग पीले वस्त्र पहन कर बसंत का स्वागत करते हैं। इस दिन सूर्य उत्तारायण होता है।
इस दिन अबूझ मुहूर्त रहता है। बिना तिथि निकलवाए ही मंदिर में प्रतिमा की प्राण प्रतिष्ठा, घर की नींव, गृह प्रवेश आदि शुभ कार्य किये जा सकते हैं।
: मां सरस्वती को पीले फूल अर्पित कर वंदना करें।
: पूजा के स्थान पर वाद्य यंत्र और किताबें रखें।.
: बच्चों को शिक्षा संबंधी सामग्री दें और पीला भोजन करें।
पंडित सुनील शर्मा के अनुसार इस साल 10 फरवरी को वसंत पंचमी का पर्व मनाया जाएगा। इस दिन बुद्धि की अधिष्ठात्री देवी मां सरस्वती की पूजा करने से मुश्किल से मुश्किल मनोकामना पूरी होती है।
पौराणिक मान्यता के अनुसार बसंत पंचमी के दिन ही देवी सरस्वती प्रकट हुई थीं। इसलिए बसंत पंचमी में मां सरस्वती के जन्मोत्सव के रूप में मनाया जाता है।
इस दिन विद्धार्थी, कलाकार, संगीतकार और लेखक आदि मां सरस्वती की उपासना करते हैं। स्वरसाधक मां सरस्वती की उपासना का उसने से स्वर प्रदान करने की प्रार्थना करते हैं।
अबूझ मुहूर्त है बसंत पंचमी…
बसंत पंचमी के दिन किसी भी काम को करना बहुत शुभ फलदायक होता है। इसलिए इस दिन नींव पूजन, गृह प्रवेश, वाहन खरीदना, नवीन व्यापार प्रारंभ और मांगलिक कार्य किए जाते है।
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ज्योतिष के मुताबिक बसंत पंचमी का दिन अबूझ मुहूर्त के तौर पर भी जाना जाता है, इस कारण नए कार्यों को शुरूआत के लिए यह दिन उत्तम माना जाता है। इस दिन मंदिर की प्राण-प्रतिष्ठा, घर की नींव, गृह प्रवेश, वाहन खरीदने, व्यापार शुरू करने आदि के लिए शुभ है। इस दिन अन्नप्राशन भी किया जा सकता है।
इस दिन लोग पीले वस्त्र धारण करते और साथ ही पीले रंग के पकवान बनाते हैं। मां सरस्वती ज्ञान, गायन-वादन और बुद्धि प्रदान करने वाली मानी जाती है। इस दिन सरस्वती पूजा करना काफी शुभ माना जाता है। इस दिन छात्रों को पुस्तक और गुरु के साथ और कलाकारों को अपने वादन के साथ इनकी पूजा जरूर करनी चाहिए।
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यह दिन माता-पिता बच्चों की शिक्षा शुरू करने के लिए विशेष शुभ मानते हैं। इस दिन से बच्चों को विद्यारंभ करानी चाहिए। साथ ही उनकी जीभ पर शहद से ॐ और ऐं बनाना चाहिए, जिससे बच्चा ज्ञानी और मधुरभाषी होता है। यदि बालक 6 महीने का हो चुका है तो अन्न का पहला दाना इसी दिन खिलाना चाहिए।
शास्त्रों के अनुसार बसंत पंचमी की पूजा का विशेष विधि विधान है। बसंत पंचमी के दिन के लिए कई नियम बनाए गए हैं, जैसे- आज के दिन पीले या सफेद वस्त्र धारण करना चाहिए। मान्यता है कि बसंत पंचमी के नियमों का यदि पालन न किया जाए तो मां सरस्वती और पितृ रूठ सकते है। जानें क्या हैं ये नियम-
बसंत पंचमी को न करें ये पांच गलतियां-
1- बसंत पंचमी को काले रंग के कपड़े नहीं पहनने चाहिए। इस दिन पीले वस्त्र धारण करना शुभ माना जाता है।
2- बसंत पंचमी के दिन मांस-मदिरा का सेवन नहीं करना चाहिए। संभव हो तो आज के दिन स्नान और पूजा के बाद सात्विक भोजन ग्रहण करना चाहिए।
3- बसंत पंचमी के दिन पेड़-पौधों की कटाई नहीं करनी चाहिए।
4- बसंत पंचमी के दिन किसी से वाद-विवाद या क्रोध नहीं करना चाहिए। माना जाता है कि बसंत पंचमी को कलह होने से पितृों को कष्ट पहुंचता है।
5- बसंत पंचमी के दिन बिना नहाए कुछ भी नहीं खाना चाहिए। इस दिन नदी, सरोवर या पास के तालाब में स्नान करना चाहिए और मां सरस्वती की पूजा अराधना के बाद ही कुछ खाना चाहिए।
जानिये शुभ मुहूर्त.बसंत पंचमी : 2019..
बसंत पंचमी पूजा मुहूर्त – 07.07 बजे से 12.35 बजे तक।
अवधि – 05 घंटे 27 मिनट।
पंचमी तिथि आरंभ – 9/फरवरी/2019 को 12.25 बजे से
पंचमी तिथि समाप्त – 10/फरवरी/2019 को 14.08 बजे तक।
विद्यारंभ करने का शुभ दिन है बसंत पंचमी…
माघ शुक्ल पंचमी को ज्ञान और बुद्धि की देवी मां सरस्वती के प्राकट्य दिवस के रूप मे बवसंत पंचमी के रुप में मनाया जाता है। इस मौके पर मां सरस्वती की पूजा की जाती है और मौसम में आसानी से उपलब्ध होने वाले फूल चढ़ाए जाते हैं।
विद्यार्थी इस दिन किताब-कॉपी और पाठ्य सामग्री की भी पूजा करते हैं। जिस दिन पंचमी तिथि सूर्योदय और दोपहर के बीच रहती है, उस दिन को सरस्वती पूजा के लिये उपयुक्त माना जाता है। इस दिन कई स्थानों पर शिशुओं को पहला अक्षर लिखना सिखाया जाता है। इसका कारण यह है कि इस दिन को विद्या आरंभ करने के लिये शुभ माना जाता है।
बसंत पंचमी की पौराणिक मान्यताएं…
मान्यता है कि भगवान श्रीकृष्ण ने देवी सरस्वती से खुश होकर उन्हें वरदान दिया था कि बसंत पचंमी के दिन उनकी आराधना की जाएगी। तब से बसंत पंचमी के दिन मां सरस्वती के पूजन की परंपरा चली आ रही है। खास कर विद्यार्थियों द्वारा सरस्वती पूजा का आयोजन किया जाता है।
एक अन्य मान्यता के अनुसार मां सीता की तलाश करते हुए भगवान श्रीराम गुजरात और मध्य प्रदेश में फैले दंडकारण्य इलाके में पहुंचे। यहीं शबरी का आश्रम था। कहा जाता है कि बसंत पंचमी के दिन ही भगवान श्रीरामचंद्र यहां आये थे। इस क्षेत्र के लोग आज भी वहां मौजूद एक शिला का पूजन करते हैं। मान्यता है कि भगवान श्रीराम इसी शिला पर बैठे थे। यहीं शबरी माता का मंदिर भी है।
सरस्वती पूजा के मौके पर मां सरस्वती की स्तुति की जाती है। इस दौरान सरस्वती स्तोत्रम का पाठ किया जाता है। कई शिक्षण संस्थानों में भी इस स्तोत्र के जरिए मां सरस्वती की वंदना की जाती है। आप घर में भी इस स्तोत्र के जरिए मां सरस्वती की वंदना कर सकते हैं।
या कुन्देन्दु-तुषारहार-धवला या शुभ्र-वस्त्रावृता
या वीणावरदण्डमण्डितकरा या श्वेतपद्मासना।
या ब्रह्माच्युत शंकर-प्रभृतिभिर्देवैः सदा वन्दिता
सा मां पातु सरस्वती भगवती निःशेषजाड्यापहा॥ शुद्धां ब्रह्मविचार सारपरम- माद्यां जगद्व्यापिनीं
वीणा-पुस्तक-धारिणीमभयदां जाड्यान्धकारापहाम्।
हस्ते स्फटिकमालिकां विदधतीं पद्मासने संस्थिताम्
वन्दे तां परमेश्वरीं भगवतीं बुद्धिप्रदां शारदाम्॥
श्वेतपद्मासना देवि श्वेतपुष्पोपशोभिता।
श्वेताम्बरधरा नित्या श्वेतगन्धानुलेपना॥
श्वेताक्षी शुक्लवस्रा च श्वेतचन्दन चर्चिता।
वरदा सिद्धगन्धर्वैर्ऋषिभिः स्तुत्यते सदा॥
स्तोत्रेणानेन तां देवीं जगद्धात्रीं सरस्वतीम्।
ये स्तुवन्ति त्रिकालेषु सर्वविद्दां लभन्ति ते॥
या देवी स्तूत्यते नित्यं ब्रह्मेन्द्रसुरकिन्नरैः।
सा ममेवास्तु जिव्हाग्रे पद्महस्ता सरस्वती॥
॥इति श्रीसरस्वतीस्तोत्रं संपूर्णम्॥