प्रशासन अक्टूबर 2007 से ही बेसमेंट के अन्य उपयोग पर प्रतिबंध लगा चुका है। करीब 550 भूखंड पर बने भवनों के पौने दो सौ बेसमेंट पूरी तरह से कमर्शियल हैं। ऐसे में एमपी नगर की सडक़ें पार्किंग में तब्दील हो गई हैं। संचालकों, कर्मचारियों और ग्राहकों की पार्किंग उसी भवन के बेसमेंट में होनी चाहिए, लेकिन वे सामने सडक़ पर गाडिय़ां खड़ी कर रहे हंै। नतीजा पूरे क्षेत्र में जाम और वाहनों के हॉर्न के शोर के तौर पर सामने आ रहा है।
नगर निगम के सर्वे के अनुसार एमपी नगर में 175 बेसमेंट हैं। न्यू मार्केट में 15, अरेरा कॉलोनी में 20 और भेल में 20 कॉम्प्लेक्स के अंदर बेसमेंट हैं। सभी का कमर्शियल उपयोग हो रहा है। एमपी नगर जोन 1 में 800 भवन हैं और 550 में व्यावसायिक गतिविधियां हो रही हैं। जोन-1 में 88 बेसमेंट में दुकानें तो जोन-2 में 124 बेसमेंट हैं और 50 में व्यवसायिक गतिविधियां चल रही हैं।
समन्वय समिति कागजों में ही खत्म हो गई
एमपी नगर बेसमेंट पार्किंग मामले का निपटारा करने जिला योजना समिति ने महापौर की अध्यक्षता में समन्वय समिति का गठन किया था। करीब आठ साल का लंबा समय बीत गया। महापौर बदल गए लेकिन समिति ने क्या किया? अब तक किसी के सामने नहीं आया। नेशनल बिल्डिंग कोड ऑफ इंडिया के अनुसार स्ट्रक्चरल डिजाइन का पालन अनिवार्य है। भवन निर्माण संहिता 2016 में अंडरग्राउंड व मैकेनाइज्ड पार्किंग का प्रावधान अनिवार्य किया गया है।
कोट्स
बेसमेंट में पार्किंग नियम का पालन होना चाहिए। इससे पार्किंग समस्या काफी हद तक दूर हो सकती है। इसे लेकर अब तक हुई कवायदों को दिखवाया जाएगा। संबंधितों से चर्चा कर कार्रवाई करेंगे।
– कविंद्र कियावत, प्रशासक नगर निगम