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Bhaidooj/chitragupta puja: जानें क्यों की जाती है चित्रगुप्त पूजा, ये है भाई दूज का महत्व

भाईदूज व चित्रगुप्त पूजा आज यानि 9 नवंबर को…

भोपालNov 09, 2018 / 12:34 pm

दीपेश तिवारी

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Bhaidooj/chitragupta puja: जानें क्यों की जाती है चित्रगुप्त पूजा, ये है भाई दूज का महत्व

भोपाल। दीपावली एक पांच दिवसीय पर्व है, जिसके पहले दिन धनतेरस, दूसरे दिन रूपचौदस या नर्कचौदस, तीसरे दिन दिवाली, चौथे दिन गोवर्धन पूजा व आखिरी यानि पांचवें दिन भाईदूज व चित्रगुप्त पूजा Bhaidooj and chitragupta puja 2018 की जाती है। इस बार भाईदूज व चित्रगुप्त पूजा आज यानि 9 नवंबर को है।
कब आते हैं ये त्योहार…
दिवाली के बाद कार्तिक शुक्ल द्वितिया यानी भाई दूज आता है और इसी दिन चित्रगुप्त महाराज की पूजा भी की जाती है। भाईदूज का त्योहार भाई-बहन के रिश्‍ते को संजोता यह त्‍योहर पूरे उमंग और उत्‍साह से मनाया जाता है। इस दिन बहनें अपने भाई को तिलक लगाती हैं। मान्‍यता है कि बहन का यह तिलक भाई को अकाल मृत्‍यु से बचाता है और मंगलकामना लेकर आता है। इसी के साथ इस दिन चित्रगुप्‍त महाराज की भी पूजा की जाती है।
इसलिए की जाती है चित्रगुप्त पूजा…
पौराण‍िक कथाओं के मुताबिक, भगवान चित्रगुप्त का जन्म ब्रह्मा के अंश से हुआ है। वह यमराज के सहयोगी Bhaidooj and chitragupta puja हैं और कर्मों का लेखा जोखा रखते हैं। चित्रगुप्त ही जन्म से लेकर मृत्यु तक इंसान और जीवों के सभी कर्मों को अपनी पुस्तक में लिखते रहते हैं।
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जब जीवात्मा मृत्यु हो जाती है तो वह यह लेखा-जोखा यमराज तक पहुंचाते हैं और फिर कर्मों के आधार पर दंड दिया जाता है। चित्रगुप्‍त महाराज Bhaidooj and chitragupta puja 2018 significance behind की पूजा विशेषकर कायस्थ वर्ग में अधिक प्रचलित है। वह उनके ईष्‍ट देव हैं। समझा जाता है कि इनकी पूजा करने से लेखन, वाणी और विद्या का वरदान मिलता है।
bhai dooj 2018: पवित्र प्रेम का प्रतीक…

रक्षाबंधन की ही तरह यह पर्व भाई-बहन के पवित्र प्रेम का प्रतीक है। धार्मिक आस्था है कि इस दिन बहन के घर भोजन करने से भाई की उम्र बढ़ती है। इस दिन यमराज बहनों द्वारा मांगी गई मनोकामनाएं पूर्ण Bhaidooj and chitragupta puja 2018 significance behind करते हैं…

ये है मान्यता…
मान्यता है कि इस दिन चित्रगुप्त महाराज के दर्शन और पूजा से मनुष्यों को पापों से मुक्ति मिलती है। भाई दूज के दिन बहने तिलक लगाकार भाई की अकाल मृत्‍यु की ही कामना करती हैं। ऐसे में यह भी सीधे तौर पर भगवान चित्रगुप्‍त से जुड़ा हुआ है।
इस संबंध में 74 वर्षीय आशीष श्रीवास्तव ने बताया कि हमारे देश में करोड़ों देवी-देवताओं के करोड़ों मंदिर हैं। लेकिन यमराज के सहयोगी चित्रगुप्‍त महाराज के मंदिर कभी-कभार ही देखने को मिलते हैं।

हालांकि, देश में भगवान चित्रगुप्‍त के 3 प्रमुख मंदिर हैं। इसमें सबसे प्राचीन 200 साल पुराना मंदिर हैदराबाद है।
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इसलिए मनाया जाता है भाई-दूज का पर्व : धर्म ग्रंथों के अनुसार, कार्तिक शुक्ल द्वितीया तिथि पर देवी यमुना के भाई यमराज अपनी बहन से मिलने उनके घर आए थे। यमुना ने अपने भाई का सत्कार कर उन्हें स्वादिष्ट भोजन कराया।
प्रसन्न होकर यमराज ने अपनी बहन से वर मांगने के लिए कहा। तब देवी यमुना ने कहा कि भाई आप यमलोक के राजा है। वहां व्यक्ति को अपने कर्मों के आधार पर दंड भुगतना होता है।
आप वरदान दें कि जो व्यक्ति मेरे जल में स्नान करके आज के दिन अपनी बहन के घर भोजन करे, उसे मृत्यु के बाद यमलोक न जाना पड़े। यमराज ने अपनी बहन की बात मानी और अपनी बहन को वचन दिया। तभी से इस तिथि को यम द्वितीया के नाम से भी जाना जाता है।
भीष्म पितामह ने भी मुक्ति के लिए की थी चित्रगुप्त पूजा…
भगवान चित्रगुप्त की पूजा बल, बुद्धि, साहस और शौर्य के लिए की जाती है। 9 इसे दवात पूजा के नाम से भी जाना जाता है।
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मान्यता है कि भगवान चित्रगुप्त परम पिता परमेश्वर ब्रम्हा जी के काया से उत्पन्न हुए हैं, जिसके कारण ये कायस्थ कहलाए और इनका नाम चित्रगुप्त कहलाया। इनके हाथों में कर्म की किताब, कलम और दवात है। इनकी लेखनी से ही जीवों को उनके कर्म के अनुसार न्याय मिलता है।
इसलिए पड़ा इस पर्व का नाम भाईदूज: आम बोलचाल की भाषा में हिंदी कैलेंडर की द्वितीया तिथि को दूज कहते हैं। क्योंकि यह त्योहार भाई द्वारा बहन के घर आने की मान्यता से जुड़ा है, इसलिए बदलते समय के साथ इस त्योहार का नाम भाई-दूज पड़ गया। कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की द्वितीया तिथि को ज्यादातर लोग भाईदूज के नाम से जानते हैं।
ये हैं चित्रगुप्त महाराज के प्रमुख मंदिर…
स्वामी चित्रगुप्त मंदिर- हैदराबाद,श्री धर्महरि चित्रगुप्त मंदिर- फैजाबाद उत्तर प्रदेश,चित्रगुप्त मंदिर- कांचीपुरम

विधि : पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, यम और यमुना सूर्यदेव की संतान हैं। यमुना समस्त कष्टों का निवारण करनेवाली देवी स्वरूपा हैं। उनके भाई मृत्यु के देवता यमराज हैं। यम द्वितीया के दिन यमुना नदी में स्नान करने और वहीं यमुना और यमराज की पूजा करने का बहुत महत्व है।
इस दिन बहन अपने भाई को तिलक लगाकर उसकी लंबी उम्र के लिए हाथ जोड़कर यमराज से प्रार्थना करती है। स्कंद पुराण में लिखा है कि इस दिन यमराज पूजन करनेवालों को मनोवांछित फल मिलता है। धन-धान्य, यश एवं दीर्घायु की प्राप्ति होती है।
भाई दूज पूजा और तिलक का शुभ मुहूर्त…
सुबह पूजा का मुहूर्त: 9:20 से 10:35 बजे तक
दोपहर में पूजा का मुहूर्त: 1:20 से 3:15 बजे तक
संध्या काल में पूजा मुहूर्त: 4:25 से 5:35 बजे तक
शाम के समय पूजा मुहूर्त: 7:20 से रात 8:40 बजे तक
भाईदूज तिलक का सर्वश्रेष्ठ मुहूर्त – दोपहर 01 बजकर 16 मिनट से 03 बजकर 28 मिनट तक

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