भोपाल के रामचंद्र शर्मा ने गुजरात के सौराष्ट्र का पारंपरिक दीप नृत्य पेश किया। ये नृत्य ट्रेडिशनल गरबा सॉग्स के साथ आद्य शक्ति की आराधना करते हुए किया जाता है। रामचंद्र के अनुसार इस नृत्य में जलते हुए दीयों को सिर, हाथ और कमर पर रखा जाता है।
कार्यक्रम में उन्होंने ऐसी अद्भूत प्रस्तुति का नजारा पेश किया दर्शक भक्ति सागर रस में खो गए। उन्होंने 13 मिनट की जय आध्या शक्ति… माता की आरती के साथ दमा दम मस्त कलंदर पर भी नृत्य किया। उन्होंने बताया कि 108 दीयों में एक किलो मिठे तेल का उपयोग किया जाता है।
वह 1973 से गरबा की प्रस्तुति देते आएं है, उसकी बाद उन्होंने 2004 से जलते हुए दियों पर नृत्य की विधा को तैयार किया।
आपके मंदिर के पट हो बंद न पढऩा है मां तु हारी वंदना…
वहीं बुंदेली लोक भजन और लोक गीतों की प्रस्तुति भी हुई। जिसमें दो घंटे में नीता झा और नागेंद्र नेगी ने गणेश वंदना, सरस्वती वंदना आपके मंदिर के पट हो बंद न पढऩा है मां तु हारी वंदना… उसकी बाद लोक गीत सो रही थी में खोल के किबाड़ बेदर्द दगा देकर चला गया… साथ ही युगल गीत में तु हें घरे आकार… व राई की प्रस्तुति से लोगों का दिल जीता।
जहां बैंजू पर रहीस अदमद, पेड पर सचिन नामदेव और ढोलक पर यशवंत कुशवाह ने संगत दी।