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भोपाल को जनता के काम नहीं, कागजी खानपूर्ति में मिला मुकाम

स्मार्ट सिटी की रैंकिंग जारी: नंबर दो का तमगा, सुविधाओं में अभी भी फिसड्डी

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भोपाल. देशभर में स्मार्ट सिटी रैंकिंग में इस बार भोपाल दूसरे नंबर पर है। यह मुकाम पब्लिक यूटिलिटी नहीं, बल्कि कागजी खानापूर्ति समय पर करने पर मिला है। स्मार्ट सिटी कॉर्पोरेशन ने जनवरी माह तक केंद्र एवं राज्य सरकार से प्राप्त राशि का पूरा हिसाब दिया। उसका दावा है कि शहर में पब्लिक यूटिलिटी के 12 काम हो रहे हैं, जिससे जीवन स्तर सुधरा है।

ये सभी पेन सिटी फॉर्मूले पर हैं, जबकि 25 जून 2015 को भोपाल ने एरिया बेस्ड डवलपमेंट फॉर्मूला दिखाकर केंद्र से प्रपोजल मंजूर करवाया था। एबीडी फॉर्मूले पर पहले तुलसी नगर और शिवाजी नगर को तोड़कर नए सिरे से बसाया जाना था, लेकिन विरोध के बाद ये प्रोजेक्ट नॉर्थ टीटी नगर शिफ्ट हो गया था।

ये सपने दिखाए थे
कॉर्पोरेशन ने केंद्र सरकार से दावा किया था कि पांच साल में नॉर्थ और साउथ टीटी नगर की 333 एकड़ जमीन पीपीपी मोड पर विकसित की जाएगी। प्रोजेक्ट और जमीनें बेचकर 6644 करोड़ की आमदनी होगी, जबकि डवलपमेंट कॉस्ट 3444 करोड़ आएगी। टीटी नगर में नॉलेज हब, एजुकेशन हब, एनर्जी हब, हेल्थ हब, इनोवेशन सेंटर सहित रेसीडेंस एवं कमर्शियल कैंपस बनाकर आधुनिक सुविधाएं देने का सपना दिखाया गया था।

पेन सिटी सॉल्यूशन भी पब्लिक यूटिलिटी पूरी करने का एक बेहतर फॉर्मूला है। शहर में 12 से ज्यादा प्रोजेक्ट शुरू हो गए हैं, जिन्हें बेहतर बनाने का काम लगातार किया जा रहा है।
संजय कुमार, सीईओ, स्मार्ट सिटी डवलपमेंट कॉर्पोरेशन

जनता से जुड़े इतने प्रोजेक्ट हैं अधूरे