मध्यप्रदेश एटीएस ने इस गैंग की छह सदस्यों को गिरफ्तार किया है। जिनके शानो-शौकत को देख अच्छे-अच्छे लोग चक्करा जाएं। वीडियो के जरिए ये महिलाएं नेता से लेकर अफसर तक को ब्लैकमेल कर करोड़ों रुपये की वसूली करती थीं। उन पैसों का इस्तेमाल रईशी दिखाने के लिए करतीं। इनके दरवाजे की शोभा मर्सिडिज और ऑडी जैसी गाड़ियां बढ़ाती हैं। सत्ता के गलियारे से लेकर ब्यूरोक्रेसी तक में इनकी हनक थी।
मंत्रालय में था सीधे एंट्री
गिरोह की मुखिया की हनक ऐसी थी कि मंत्रालय तक में सीधी एंट्री थी। अफसरों की महफिल तक की ये महिलाएं शोभा बढ़ाती थीं। और एक बार जो इनकी हुस्न की जाल में फंस जाता, उससे पैसा तो वसूलती ही थी और न जाने उन अफसरों से कई उल्टे-सीधे काम निकलवाती थीं। इनकी हिमाकत भी ऐसी-वैसी नहीं थी, पिछले दिनों जब इनकी मांग को एक वरिष्ठ आईएएस अफसर ने पूरा नहीं किया तो उसका वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल कर दिया।
गिरोह की मुखिया की हनक ऐसी थी कि मंत्रालय तक में सीधी एंट्री थी। अफसरों की महफिल तक की ये महिलाएं शोभा बढ़ाती थीं। और एक बार जो इनकी हुस्न की जाल में फंस जाता, उससे पैसा तो वसूलती ही थी और न जाने उन अफसरों से कई उल्टे-सीधे काम निकलवाती थीं। इनकी हिमाकत भी ऐसी-वैसी नहीं थी, पिछले दिनों जब इनकी मांग को एक वरिष्ठ आईएएस अफसर ने पूरा नहीं किया तो उसका वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल कर दिया।
इस गैंग की सरगना आरती दयाल है। वह सागर की रहने वाली है और खुद को सरकारी ठेकेदार बताती है। दूसरी मोनिका है, जो लोग को फंसाती है और पैसे वसूलती है। श्वेता जैन, यह एनजीओ संचालिका है और इसी हैसियत से अफसरों से मिलती थी। एक और श्वेता है जो भोपाल के रेवेरा टाउनशिप में रहती है। वह आरती की दोस्त है। इसके साथ ही बरखा सोनी है, उसका पति कांग्रेस के आईटी सेल में था। जिसे पार्टी ने कुछ दिन पहले ही निकाल दिया है।
12 जिलों में है नेटवर्क
हनीट्रैप गिरोह की मुख्य किरदार श्वेता स्वप्निल जैन है। उसका जाल 12 जिलों में है। उससे अठारह महिलाएं जुड़ी हैं। भोपाल-इंदौर में कलेक्टर रह चुके आईएएस ने इऩ्हें काफी बढ़ाया। इन्हीं के जरिए अफसरों से पहचान हुई। पति स्वप्निल का पूरा सहयोग था। श्वेता विजय जैन नेताओं के ज्यादा करीब थी। उसे एक पूर्व सीएम ने मिनाल में घर दिलाने में सहयोग किया था। दोनों ही एक साथ शिकार तलाश करती थीं। इन्होंने आरती, बरखा और मोनिका को भी जोड़ लिया।
हनीट्रैप गिरोह की मुख्य किरदार श्वेता स्वप्निल जैन है। उसका जाल 12 जिलों में है। उससे अठारह महिलाएं जुड़ी हैं। भोपाल-इंदौर में कलेक्टर रह चुके आईएएस ने इऩ्हें काफी बढ़ाया। इन्हीं के जरिए अफसरों से पहचान हुई। पति स्वप्निल का पूरा सहयोग था। श्वेता विजय जैन नेताओं के ज्यादा करीब थी। उसे एक पूर्व सीएम ने मिनाल में घर दिलाने में सहयोग किया था। दोनों ही एक साथ शिकार तलाश करती थीं। इन्होंने आरती, बरखा और मोनिका को भी जोड़ लिया।
ऐसे काम करता था गिरोह
हनीट्रैप गिरोह एक सोची-समझी साजिश के तहत अफसरों और नेताओं का शिकार करती थी। पहले मुख्य सरगना महिला रसूखदार और बड़े ओहदे वाले अफसरों से संपर्क साधती। खुद को सरकारी ठेकेदार बताक काम के बहाने दोस्ती करती। फिर फोन और वॉट्सऐप के जरिए बात बढ़ाते और निजी अंतरंग बातें की जाती। जैसे ही अफसर या जाल में फंसा व्यक्ति भी बात करने में रुचि दिखाता तो उसे मिलने के लिए दबाव बनाया जाता। छोटी मुलाकात के दौरान भी अंतरंग बातें कर उसे अपने जाल में फंसाया जाता। होटल में मिलने के दौरान उसके साथ अंतरंग पल बिताते। इसी दौरान कहीं स्पॉय कैमरे से तो कहीं खुद ही मोबाइल लेकर वीडियो बना लिया जाता। फिर कुछ दिन तक मिलने और वीडियो बनाने का सिलसिला जारी रहता। इन वीडियो को दिखाकर ब्लैकमेलिंग शुरू की जाती। जैसे अफसर या प्रभावी व्यक्ति होता, उस हिसाब से रुपये की डिमांड की जाती।
हनीट्रैप गिरोह एक सोची-समझी साजिश के तहत अफसरों और नेताओं का शिकार करती थी। पहले मुख्य सरगना महिला रसूखदार और बड़े ओहदे वाले अफसरों से संपर्क साधती। खुद को सरकारी ठेकेदार बताक काम के बहाने दोस्ती करती। फिर फोन और वॉट्सऐप के जरिए बात बढ़ाते और निजी अंतरंग बातें की जाती। जैसे ही अफसर या जाल में फंसा व्यक्ति भी बात करने में रुचि दिखाता तो उसे मिलने के लिए दबाव बनाया जाता। छोटी मुलाकात के दौरान भी अंतरंग बातें कर उसे अपने जाल में फंसाया जाता। होटल में मिलने के दौरान उसके साथ अंतरंग पल बिताते। इसी दौरान कहीं स्पॉय कैमरे से तो कहीं खुद ही मोबाइल लेकर वीडियो बना लिया जाता। फिर कुछ दिन तक मिलने और वीडियो बनाने का सिलसिला जारी रहता। इन वीडियो को दिखाकर ब्लैकमेलिंग शुरू की जाती। जैसे अफसर या प्रभावी व्यक्ति होता, उस हिसाब से रुपये की डिमांड की जाती।
हनीट्रैप में फंसे नेता हो या अफसर किसी को इस बात की भनक तक नहीं होती थी कि उनका वीडियो बनाया जा रहा है। जब ये महिलाएं उनके वॉट्सऐप पर वीडियो भेजतीं तब जाकर उनकी नींद खुलती। बदनामी की डर से नेता और अफसर इन महिलाओं की मांगें मानते। लेकिन इंदौर के इंजीनियर ने हिम्मत कर इस गैंग के खिलाफ पुलिस में शिकायत दर्ज कराई तो जाकर मामले का खुलासा हुआ।