यहां रसूख के दबाव में मास्टर प्लान
1. बड़ा तालाब कैचमेंट- बड़ा तालाब के कैचमेंट एरिया में 230 हेक्टेयर जमीन बड़े अफसरों और राजनेताओं ने खरीदी हुई है। सस्ती दर में ये जमीनें खरीदकर उम्मीद की जा रही है कि मास्टर प्लान में कैचमेंट में गतिविधियों को अनुमति दी जाए, ताकि यहां पर व्यवसायिक व कॉलोनी विकसित करने के काम शुरू किए जा सकें। हालांकि फिलहाल कैचमेंट को लो-डेंसिटी एरिया रखने की बात हो रही है। फिलहाल कैचमेंट नीलबड़, रातीबड़, प्रेमपुरा, कोलूखेड़ी, बरखेड़ी खुर्द, गोल, बिशनखेड़ी में बड़े रसूखदारों के बड़े प्लॉट है और मनोरंजन केंद्र के तौर पर अनुमतियां ली हुई है। इन क्षेत्रों में सस्तीदर में प्लॉट उपलब्ध होने के जगह-जगह लगे बोर्ड आसानी से देखे जा सकते हैं।
2. खानूगांव खुद एफटीएल में, लेकिन आवासीय क्षेत्र बढ़ाएंगे- मास्टर प्लान से उम्मीद की जा रही थी कि खानूगांव में अवैध निर्माण और रिटेनिंग वॉल जैसे निर्माणों को हटाने के प्रावधान होगा, लेकिन ऐसा नहीं किया जा रहा। इसके उलट, खानूगांव में आवासीय क्षेत्र बढ़ाने की कवायद है। यहां तालाब के एफटीएल में बने मैरिज गार्डन, कॉलेज व अन्य निर्माण में रसूखदारों की बड़ी भूमिका है, इसलिए ही यहां आवासीय के साथ पीएसपी बढ़ाने की कवायद हो रहा है, ताकि ये वैध की जा सके।
3. शांत क्षेत्रों में बढ़ेगी अशांति- मास्टर प्लान में मिक्सलैंड यूज 18 मीटर चौड़ी रोड पर तय करने की कवायद की जा रही है। इससे शहर के 400 शांत क्षेत्रों में हलचल बढ़ेगी। उम्मीद की जा रही थी कि प्लान शहर में नए डेडिकेटेड व्यवसायिक क्षेत्र विकसित करने के प्रावधान होंगे, लेकिन जो तथ्य सामने आ रहे है,ं उनके अनुसार अंदरूनी क्षेत्रों में व्यवसायिक हलचल बढऩे से ट्रैफिक जाम और पार्किंग की दिक्कत बढ़ेगी।
4. 33 सडक़ें करेंगे खत्म- बीते करीब 30 साल से जिन मास्टर प्लान रोड से शहरवासी बेहतर आवाजाही की उम्मीद कर रहे थे, नए प्लान में वो उम्मीद खत्म कर दी जाएगी। जो रसूखदार मास्टर प्लान रोड पर कॉलोनियां विकसित कर चुके, उन्हें चिंता से मुक्ति की राह दी जाएगी। पुरानी मास्टर प्लान रोड खत्म की जाएगी। अब नई सडक़ के लिए सरकारी जमीन की उपलब्धता की शर्त है। शहर में सरकारी जमीन काफी कम बची, लंबी सडक़ बन जाए, ऐसा तो कोई क्षेत्र नहीं है, जाहिर है, सडक़ों के लिए खास प्रावधान नहीं हो पाएंगे।
5. 6000 हेक्टेयर वनक्षेत्र पर चुप्पी- नए प्लान में शहर से लगे करब 6000 हेक्टेयर वनक्षेत्र को लेकर कोई स्पष्ट प्रावधान नहीं किया जा रहा। ये बाघ भ्रमण क्षेत्र है, काफी जंगली जानवर है। इसे टाइगर रिजर्व तय करने की बात भी चल रही है। लेकिन मास्टर प्लान इसपर चुप है। भावी टाइगर रिजर्व के लिए इसके आसपास करीब 500 मीटर तक बफर जोन तय करना होगा, यानि इसमें कोई निर्माण नहीं होगा। स्थिति ये हैं कि इस भावी बफर जोन में कई बड़े निर्माण हो चुके हैं, इसलिए प्लान में इसपर चुप्पी ही साधने का दबाव है।
ड्राफ्ट ऑनलाइन, फायनल की प्रकाशित होंगे पुस्तकें टीएंडसीपी की संयुक्त संचालक सुनीतासिंह का कहना है कि प्लान जारी करने की तैयारी लगभग पूरी है। हम ड्राफ्ट को हमेशा की तरह ऑनलाइन ही जारी करेंगे। ये कम समय के लिए ही होता है इसलिए ऑनलाइन रहेगा, इसे कोई भी डाउनलोड कर सकेगा। फायनल होने के बाद प्लान सॉफ्ट के साथ हॉर्ड कॉपियों में प्रकाशित कराया जाएगा। इसकी पुस्तकें हमेशा की तरह छापी जाएगी।