गौरतलब है कि शहर के पार्किंग माफियाओं ने मिलकर पार्र्किंग संचालन की एक कंपनी बनाई है और वह भी इसमें भागीदारी कर सकती है। पार्र्किंग संचालन की पिछली कंपनी माइंडटेक ने भी अपने कार्यकाल के अंतिम वर्ष में माफियाओं द्वारा बनाई इसी कंपनी के माध्यम से पार्किंग का संचालन कराया था। इसी कंपनी ने न्यू मार्केट से लेकर अन्य जगहों पर शुल्क अपने ही स्तर पर दोगुना कर दिया था, जिसकी जांच भी हुई थी। जिसमें शिकायत सही मिली थी। अब फिर से कहीं, वही स्थिति न बन जाए।
फिलहाल निगम प्रशासन के आदेश के बाद अगस्त से नगर निगम के जोन कार्यालयों के माध्यम से इन स्मार्ट पार्किंग का संचालन कराया जा रहा है। माइंडटेक के पहले भी इसी तरह से पार्किंग का संचालन होता था और निगम को कोई कमाई नहीं थी। माइंडटेक को तय करने के बाद निगम को सालाना करीब तीन करोड़ रुपए की कमाई की उम्मीद बंधी थी, लेकिन कंपनी को निगम को राशि ही नहीं दी। इस तरह की शर्ते तय थी कि उसने पार्किंग स्पेस विकसित किया और पूरी राशि उसमें ही खर्च बता दी। इसी वजह से विवाद हुआ और अंतत: माइंडटेक का ठेका खत्म कर दिया गया।
स्मार्ट पार्किंग एक नजर – 52 स्थानों पर स्मार्ट पार्किंग विकसित करना थी
– 30 स्थान पर भी नहीं हो पाई विकसित – 25 लाख रुपए प्रतिमाह का भुगतान करना था नगर निगम को
– 3 करोड़ रुपए से अधिक का निगम ने कंपनी पर निकाला था बकाया
– 80 के करीब पार्किंग स्थल है शहर में अलग-अलग जगह पर
– 50 लाख रुपए से अधिक मासिक पार्किंग कमाई का आंकलन, लेकिन अब तक नहीं हो पाया पार्किंग के लिए नई एजेंसी तलाशी जा रही है। पिछली कंपनी का ठेका रद्द करने के बाद इसकी जरूरत है। पार्किंग संचालन और वाहन चालकों की सुविधा को सुनिश्चित किया जाएगा।
– वीकेएस चौधरी, निगम आयुक्त