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भोपाल

ओला उबर मनमानी पर उतारू- एंड्राइड एप्लीकेशन पर 14 हज़ार से ज्यादा कैब का दावा, सड़कों पर मुट्ठी भर गाड़ियां भी उपलब्ध नहीं

 
ड्राइवर जबरन कैंसिल करते हैं राइड, उपभोक्ता के बैंक खाते से कटता है 50 रुपए
ड्राइवर के मोबाइल पर बिल की राशि उपभोक्ता के मोबाइल की राशि से 30 से 40 रुपए तक दिखती है ज्यादा
सरकार का दावा- नियंत्रण के लिए ला रहे प्राइवेट कैब पॉलिसी
प्रदेश की सड़कों पर प्राइवेट पब्लिक ट्रांसपोर्ट के लिए सबसे बड़ी सुविधा बनकर सामने आई ओला और उबर कंपनियों की टैक्सी नागरिकों के लिए परेशानी का सबब बन चुकी हैं।

भोपालMay 25, 2022 / 04:45 pm

हर्ष पचौरी

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Taxi operators’ silver due to non-start of bus service

एंड्राइड एप्लीकेशन पर देखने पर प्रदेश की सड़कों पर दोनों कंपनियों ने 14 हजार से ज्यादा वाहन उपलब्ध दिखाए हैं लेकिन राजधानी भोपाल में किसी सड़क पर खड़े होकर यदि आप जीपीएस लोकेशन ऑन कर अपने आसपास किसी कैब को खोजेंगे तो मुश्किल से एक या दो गाड़ी उपलब्ध नजर आएंगी। ओला उबर टैक्सी बुक करने के बाद कोई गारंटी नहीं है कि आपके पास दिखाए जा रहे समय में ड्राइवर गाड़ी लेकर पहुंच जाएगा। हद तो तब हो जाती है जब बेसब्री से वाहन का इंतजार करने के बावजूद ड्राइवर मनमाने तरीके से राइड कैंसिल कर देता है और उपभोक्ता के खाते से 50 रुपए की राशि कट जाती है। शहर में एक स्थान से दूसरे स्थान पर जाने पर ड्राइवर के एंड्रॉयड एप्लीकेशन पर बिल की राशि हमेशा उपभोक्ता को उपलब्ध कराई गई बिल की राशि से अधिक रहती है। आए दिन इस प्रकार के विवाद सामने आ रहे हैं जिसमें ड्राइवर 50 रुपए तक ज्यादा राशि की मांग करते पाए गए हैं। ओला और उबर कंपनी के खिलाफ लगातार बढ़ रहे शिकायती मामलों के मद्देनजर केंद्र सरकार ने हाल ही में तीन हजार से ज्यादा प्राइवेट कैब ड्राइवरों के खिलाफ शिकायतें कंपनियों को भेजकर कार्रवाई के निर्देश दिए हैं। ईंधन के दाम घटने बढ़ने के बावजूद ओला एवं उबर कंपनियों ने मनमाने तरीके से बगैर किसी मंजूरी के ही किराए में इजाफा किया है जिसका जिक्र तब किया जाता है जब उपभोक्ता कैब का सफर करने के बाद अपनी मंजिल पर उतरता है। प्राइवेट कैप कंपनियों की मनमानी से निपटने के लिए मध्य प्रदेश परिवहन विभाग ने जल्द ही राज्य में संचालन के लिए प्राइवेट कैब संचालन पॉलिसी लाने का दावा किया है।

ई-स्कूटर एवं फूड्सर्विस ने बिगाड़ा मैनेजमेंट
ओला एवं उबर कंपनियां शुरुआती दौर में लोगों को सस्ती दरों पर एक स्थान से दूसरे स्थान तक पहुंचने के लिए टैक्सी सेवा लेकर आई थीं। संक्रमण काल से पहले दोनों कंपनियों ने दूसरे काम चालू कर दिए। इलेक्ट्रिक स्कूटर के जरिए और ज्यादा सस्ता ट्रांसपोर्ट उपलब्ध कराने का दावा किया जबकि उबर कंपनी ने फूड्सर्विस के नाम पर प्राइवेट होटल रेस्टोरेंट से एग्रीमेंट कर घर पहुंच खाद्य सामग्री सेवा देना शुरू कर दिया। केंद्र सरकार में हुई शिकायतों में आरोप लगाया गया है कि कंपनियां अपने वैकल्पिक बिजनेस को बढ़ावा देने में व्यस्त हो गई हैं एवं प्रारंभिक स्तर पर शुरू की गई टैक्सी सेवा प्राइवेट ड्राइवरों के भरोसे छोड़ दी गई है।

ऐसे चल रहा मनमानी का दौर
ओला एवं उबर कंपनी एंड्राइड एप्लीकेशन के जरिए प्राइवेट टैक्सी संचालकों को एंड्रॉयड एप्लीकेशन उपलब्ध कराती हैं। एप्लीकेशन में लॉग इन करने पर ओला कंपनी का ड्राइवर ग्राहक सेवा का मैसेज प्राप्त करता है, इसी प्रकार उबर कंपनी अपने लॉगिन आईडी पर अपने कस्टमर के मैसेज फॉरवर्ड करती है। प्राइवेट कैब कंपनी संचालक एवं ड्राइवर अपनी सुविधा के हिसाब से एंड्रॉयड एप्लीकेशन पर मिलने वाले कस्टमर के कॉल को अटेंड करते हैं एवं अपनी सुविधा के हिसाब से इन्हें निरस्त भी कर देते हैं। इस घालमेल के चक्कर में नागरिक आपात स्थिति में वाहन का इंतजार ही करते रह जाते हैं।
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प्रदेश में प्राइवेट कैब संचालन के लिए पॉलिसी का गठन किया गया है। जल्द ही इसे लागू किया जाएगा ताकि निजी कंपनियां ग्राहक सेवा के नाम पर मनमानी नहीं कर सकें।
गोविंद सिंह राजपूत, परिवहन मंत्री

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