यह मिलेगी मदद रेल सुरक्षा बल अधिकारियों को बेहतर सुरक्षा सुनिश्चित करने में एक तरह की अतिरिक्त सहायता मिल सकेगी। सीसीटीवी कैमरों से मिलने वाली वीडियो फीड की रिकॉर्डिंग 30 दिनों के लिए स्टोर की जा सकेगी। इनकी मदद से अपराधों के अनुसंधान में तेजी आएगी।
यह वीएसएस सिस्टम आईपी बेस्ड होगा। इसमें सीसीटीवी कैमरों का एक नेटवर्क होगा। ये सीसीटीवी कैमरे ऑप्टिकल फाइबर केबल पर काम करते हैं और सीसीटीवी कैमरों की वीडियो फीडिंग न केवल स्थानीय आरपीएफ पोस्टों पर बल्कि मंडल और जोनल स्तर पर सेंट्रलाइज सीसीटीवी कंट्रोल रूम में भी प्रदर्शित करेंगे। स्टेशनों पर लगे सीसीटीवी कैमरे और वीडियो फीड को इन तीन स्तरों पर निगरानी की जाएगी। ताकि रेलवे परिसरों की संरक्षा और सुरक्षा में बढ़ोतरी सुनिश्चित हो सके। इस सिस्टम में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआई) इनेबल वीडियो एनालिटिक्स सॉफ्टवेयर और फेसियल रिकॉगनिशन सॉफ्टवेयर काम करता है जिससे जाने-पहचाने अपराधियों का स्टेशन परिसरों में आने पर, उनका पता लगाने तथा उसका अलर्ट जारी करने में मदद मिलेगी। कैमरों, सर्वर, यूपीएस और स्विचों की मॉनिटरिंग के लिए नेटवर्क मेनेजमेंट सिस्टम (एनएमएस) की व्यवस्था भी की गई है जिसे किसी भी प्राधिकृत अधिकारी द्वारा किसी भी वेब ब्राउजर के माध्यम से देखा जा सकता है। 4 प्रकार के आईपी कैमरे (डॉम टाइप, बुलेट टाइप, पैन टिल्ट जूम टाइप और अल्ट्रा एचडी-4के) स्थापित किए जा रहे हैं ताकि रेलवे परिसरों के भीतर अधिकतम कवरेज सुनिश्चित हो सके।