अफसरों के इस निर्णय पर आपत्तियां आई कि सरकार को ही कीमतें तय करना था, तो जेम पोर्टल से टेंडर क्यों बुलाया गया? और टेंडर प्रक्रिया अपनाई गई तो इसकी दरों पर खरीदी करने में क्या अड़चन है? इस आपत्ति के बाद अफसरों ने जेम पोर्टल प्रबंधन को टेंडर की दरों के परे जाकर अपनी दरें पोर्टल में दर्ज करने का आग्रह किया, लेकिन ऐसा नहीं हो पाया।
अफसरों का मानना है कि और सस्ती दरों पर साइकिलें सप्लाई की जाएं। इससे टेंडर प्रक्रिया पूरी नहीं हो पाई है। जेम पोर्टल को पत्र लिखकर साइकिल की कीमत 3341 रुपए अपलोड करने को कहा, लेकिन जेम ने इनकार कर दिया।
पश्चिम बंगाल की दरों को मान लिया आधार
जेम पोर्टल में सबसे कम दर 3456 रुपए प्रति साइकिल आई। अफसरों ने 3341 रुपए प्रति साइकिल देने का मौखिक दबाव बनाया। कंपनियों ने इससे इंकार किया तो अफसरों ने पश्चिम बंगाल सरकार का 3320 रुपए में 10 लाख साइकिलें खरीदने का हवाला दिया। इसमें ***** सेल इंडेक्स प्राइस जोड़ते हुए 3320 रुपए प्रति साइकिल कीमत तय कर दी।
टैक्स को लेकर फंसा मामला
5 प्रतिशत सर्विस चार्ज के कारण कंपनियों और अफसरों के बीच सहमति नहीं बन पा रही है। जेम पोर्टल ने हाल ही में 5 प्रतिशत सर्विस चार्ज वसूलना शुरू कर दिया है। अफसरों का तर्क है कि हमारा टेंडर मई का है, इसलिए टैक्स में छूट मिल जाएगी। इससे 3352 रुपए की दर से साइकिल सप्लाई की जाए। हालांकि अभी भी इस कीमत पर अफसर एकमत नहीं हैं।
जो कीमतें लीं, वह जेम पोर्टल में नहीं हैं
अफसरों ने पश्चिम बंगाल सरकार की कीमतों को आदर्श और कम मानकर यहां भी कीमतें तय कर दी, लेकिन पश्चिम बंगाल सरकार ने जेम पोर्टल के बजाय खुले बाजार से साइकिलों की खरीदी की थी, वह भी छह महीने पहले। स्कूल शिक्षा विभाग के ही कुछ अधिकारी तर्क दे रहे हैं कि ऐसे राज्य की कीमतें आदर्श मानी गई हैं, जिसने जेम पोर्टल से खरीदी ही नहीं की है। उदाहरण भी दिया जा रहा है कि गुजरात ने 3375 रुपए प्रति साइकिल की दर से जेम पोर्टल से खरीदी की थी। इसे भी आधार माना जा सकता था।
जेम पोर्टल के माध्यम से साइकिलें खरीदी जा रही हैं। इसके टेंडर हो गए हैं। मेरे अनुमोदन से पहले मुख्यमंत्री के अनुमोदन के लिए फाइल गई है। अनुमोदन मिला या नहीं इसकी जानकारी नहीं है। मुख्यमंत्री के अनुमोदन के बाद ही फाइल कैबिनेट में ले जाई जाएगी। उसके बाद खरीदी होगी।
विजय शाह, मंत्री, स्कूल शिक्षा विभाग