इसका मतलब है कि जो उपभोक्ता एक माह में 300 यूनिट बिजली की खपत करता है। उसे अतिरिक्त रुपये देने होंगे। यह दर 1 जुलाई से सितंबर तक जारी रहेगी।
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एमपी पावर मैनेजमेंट ने तय की दर
एमपी पावर मैनेजमेंट कंपनी हर तीन महीने में एफसीए तय करती है। यह बिजली संयंत्र में कोयले और तेल जलने के हिसाब से तय किया जाता है। कभी इसके रेट बढ़ जाते हैं तो कभी कम होते हैं। अभी तक यह सिर्फ 6 पैसे यूनिट था, लेकिन इस महीने से ये 10 पैसे यूनिट हो गया है। बता दें कि गर्मियों में जब बिजली की मांग बढ़ी थी तो राज्य की बिजली कंपनी को काफी महंगा कोयला और बिजली खरीदनी पड़ी थी। इसी वजह से तिमाही में कीमतों में वृद्धि हुई है। इसका मतलब यह हुआ कि अब उपभोक्ताओं को 16 पैसे प्रति यूनिट चार्ज देना होगा। अगर 1 जुलाई से सितंबर माह तक 300 यूनिट खर्च होते हैं तो बिजली उपभोक्ताओं को 30 रुपये अधिक चार्ज देना होगा।
उपभोक्ताओं में नाराजगी
बिजली के दामों की बढ़ोतरी बिना उपभोक्ताओं को सूचना दिए कर दी गई है। जिससे उपभोक्ताओं में रोष व्याप्त है। कयास लगाए जा रहे हैं कि इसका असर चुनाव पर पड़ सकता है। आम उपभोक्ताओं के लिए बिजली जलाना एक बड़ी समस्या बनती जा रही है। जिससे आम उपभोक्ता काफी परेशान है। हो सकता है कि इसका खामियाजा सत्ता पक्ष को आम चुनाव में भुगतना पड़े।