टीपीएस रावत को अस्पताल का डायरेक्टर नियुक्त कर बिना जानकारी लाखों के चैक पर साइन कराने की कोशिश की। जब टीपीएस रावत ने इसका विरोध किया तो उन्हें पद से हटाकर उनके खिलाफ दुष्प्रचार भी किया।
दरअसल, रिटायर्ड मेजर जनरल टीपीएस रावत ने अस्पताल की सीईओ दिव्या पाराशर और उनके पुत्र धनंजय पाराशर पर अस्पताल की आड़ में करोड़ों के फर्जीवाड़े का आरोप लगाते हुए पुलिस अधीक्षक आर्थिक अपराध ब्यूरो को लिखित शिकायत की है।
शिकायत में कहा गया है कि अस्पताल में हर साल 40 से 50 करोड़ रुपए की दवाओं का इस्तेमाल होता है। पहले यह दवाएं जवाहर मेडिकोस फर्म से खरीदी जाती थीं, लेकिन बाद में धनंजय पाराशर की कंपनी अवांट कैंसर सपोर्ट फाउंडेशन के माध्यम से खरीदी जाने लगीं। आरोप है कि सारी खरीदारी फर्जी ईमेल के माध्यम से की जाती है।
हर दिन कराए लाखों के चैक पर साइन
रावत का कहना है कि उन्होंने अक्टूबर 2021 में कैंसर अस्पताल के डायरेक्टर पद पर ज्वॉइन किया था। जल्द ही उन्हें अवांट कैंसर सपोर्ट फाउंडेशन नाम की कंपनी का डायरेक्टर भी बना दिया गया।
यह कंपनी अस्पताल द्वारा बनाई गई कंपनी है, जो दवा सप्लाई का काम करेगी। हालांकि बाद में अस्पताल की सीईओ द्वारा प्रतिदिन लाखों रुपए के चैक पर साइन कराए जाने लगे। जब इनके बारे में जानकारी मांगी तो दिव्या पाराशर ने जानकारी देने से इनकार कर दिया।
हो चुकी है शिकायत
इससे पहले जवाहर लाल नेहरू कैंसर अस्पताल पर यह भी आरोप लगा था कि गरीब कैंसर पीडि़त मरीजों को रियायती दरों पर इलाज मुहैया कराने के लिए शुरू किए गए इस अस्पताल में मरीजों से इलाज ही नहीं दवा के नाम पर भी मनमानी वसूली की जा रही है। अस्पताल मरीजों का हवाला देकर दवा कंपनियों से दवाओं पर भारी डिस्काउंट ले रहा है, लेकिन इसका फायदा मरीजों को देने की बजाय उन्हें प्रिंट रेट पर दवाएं बेची जा रही हैं। यही नहीं अस्पताल में ही नई कंपनी शुरू कर टैक्स चोरी और फर्जीवाड़ा किया जा रहा है।
यह खुलासा सुप्रीम कोर्ट द्वारा गैस राहत अस्पतालों की देखरेख के लिए तैयार की गई मॉनीटरिंग कमेटी के सदस्य और गैस राहत संगठनों द्वारा कमिश्नर और फर्म एंड सोसायटी डिपार्टमेंट को की गई एक शिकायत से हुआ है। शिकायत में कहा गया है कि अस्पताल के अधिकारी अपने फायदे के लिए मरीजों का हक मार आर्थिक गड़बड़ी कर रहे हैं।