लेकिन 1977 के बाद पहली बार ऐसा हुआ है कि कांग्रेस को एक मात्र
छिंदवाड़ा सीट से संतुष्ट होना पड़ा। उस वक्त भी कांग्रेस को छिंदवाड़ा सीट ही मिली थी। यही नहीं, सिंधिया राजघराने का गढ़ रहा गुना लोकसभा सीट भी कांग्रेस के हाथ से निकल गई। यहां से
भाजपा की ओर से प्रत्याशी बने केपी यादव ने ज्योतिरादित्य सिंधिया को हरा दिया। ऐसा पहली बार हुआ है कि गुना से सिंधिया परिवार का कोई सदस्य चुनाव हारा हो। इससे पहले सिंधिया परिवार का सदस्य यहां से चुनाव नहीं हारा था।
वहीं, देश के हॉट सीटों में से एक
भोपाल लोकसभा सीट पर भी कांग्रेस की करारी हार हुई। यहां से कांग्रेस प्रत्याशी और प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह को 37 दिन पहले सियासत में आईं
साध्वी प्रज्ञा ठाकुर ने हरा दिया। दिग्विजय सिंह को 5,01,279 वोट मिले, वहीं साध्वी प्रज्ञा को 8,65,212 मत प्राप्त हुआ।
गौरतलब है कि मध्य प्रदेश में लोकसभा की 29 सीटें हैं। 29 में से 28 सीटों पर भाजपा उम्मीदवार विजयी रहे जबकि एक मात्र सीट छिंदवाड़ा ही कांग्रेस जीत पाई। यहां से मुख्यमंत्री
कमल नाथ के बेटे नकुल नाथ विजयी रहे। इसके आलवे सभी 28 सीटों पर कांग्रेस उम्मीदवारों की करारी हार हुई।