scriptउपचुनाव: ज्योतिरादित्य की सभाओं में राजमाता और माधवराव की गूंज तो कांग्रेस को भी सिंधिया परिवार से उम्मीद | BJP and Congress resorting to name of Rajmata and Madhavrao Scindia | Patrika News
भोपाल

उपचुनाव: ज्योतिरादित्य की सभाओं में राजमाता और माधवराव की गूंज तो कांग्रेस को भी सिंधिया परिवार से उम्मीद

ये क्षेत्र सिंधिया परिवार का गढ़ माना जाता है।

भोपालSep 13, 2020 / 10:12 am

Pawan Tiwari

उपचुनाव: ज्योतिरादित्य की सभाओं में राजमाता और माधवराव की गूंज तो कांग्रेस को भी सिंधिया परिवार से उम्मीद

उपचुनाव: ज्योतिरादित्य की सभाओं में राजमाता और माधवराव की गूंज तो कांग्रेस को भी सिंधिया परिवार से उम्मीद

भोपाल. मध्यप्रदेश की 27 सीटों पर उपचुनाव के लिए भाजपा-कांग्रेस लगातार चुनाव प्रचार और रैलियां कर रही हैं। जिन 27 सीटों पर उपचुनाव होना है उनमें से 16 सीटें ग्वालियर-चंबल की हैं। ये क्षेत्र सिंधिया परिवार का गढ़ माना जाता है। इस उपचुनाव में एक बड़ी बात देखने को मिली है। कांग्रेस छोड़ भाजपा में शामिल हुए ज्योतिरादित्य सिंधिया अपनी सभाओं में अपनी दादी राजमाता विजयाराजे सिंधिया और पिता माधवराव सिंधिया का जिक्र कर रहे हैं, तो दूसरी तरफ कांग्रेस के बड़े नेता भी इस क्षेत्र में राजमाता और माधवराव सिंधिया के नाम का सहारा ले रही है।
क्या कहा दिग्विजय सिंह ने?
मध्यप्रदेश के पूर्व सीएम दिग्विजय सिंह शनिवार को दतिया जिले के दौरे में थे। यहां एक सभा को संबोधित करते हुए उन्होंने ज्योतिरादित्य सिंधिया पर हमला बोला। हालांकि इस दौरान दिग्विजय सिंह ज्योतिरादित्य सिंधिया को महराज कहकर संबोधित कर रहे थे। लेकिन अपने भाषण में उन्होंने कई बार राजमाता और माधवराव सिंधिया का जिक्र किया। दिग्विजय सिंह ने कहा- ‘कोई उम्मीद कर सकता था कि माधवराव जी महाराज के बेटे, राजा माता सिंधिया के पोते ज्योतिरादित्य सिंधिया धोखा देंगे लेकिन उन्होंने धोखा दिया। मेरा उनसे कोई झगड़ा नही है लेकिन मैं उनसे कहना चाहता हूं कि इससे न आपका भला होगा न जनता का।’
उपचुनाव: ज्योतिरादित्य की सभाओं में राजमाता और माधवराव की गूंज तो कांग्रेस को भी सिंधिया परिवार से उम्मीद
मैं सिंधिया परिवार का खून: ज्योतिरादित्य
वहीं, दूसरी तरफ ज्योतिरादित्य सिंधिया शनिवार को मुरैना में एक सभा को संबोधित कर रहे थे। इस दौरान उन्होंने कहा- मैं सिंधिया परिवार का खून हूं। मेरी दीदी ने जब जनता के साथ अन्याय होते देखा था तो डीपी मिश्रा की सरकार गिरा दी थी। जब इस कांग्रेस में मेरे पिता के साथ अन्याय हुआ तो उन्होंने खुद की पार्टी बनाई ग्वालियर और चंबल का झंड़ा ऊंचा किया। इसके साथ-साथ ही सिंधिया ग्वालियर-चंबल की कई सभाओं मे अपने पिता और राजमाता विजयराजे सिंधिया का उल्लेख कर चुके हैं।
आखिर इन दोनों नेताओं का जिक्र क्यों?
दरअसल, सिंधिया राजवंश की राजधानी ग्वालियर थी। इसके साथ-साथ ही चंबल को भी सिंधिया परिवार का गढ़ माना जाता है। राजमाता विजयराजे सिंधिया और माधवराव सिंधिया की छवि जननेता के रूप में थी। ये दोनों नेता ही इस क्षेत्र से कभी चुनाव नहीं हारे।
दिग्विजय
गिरा दी थी डीपी मिश्रा की सरकार
ग्वालियर में छात्र आंदोलन को लेकर राजमाता की तत्कालीन कांग्रेसी सरकार के मुख्यमंत्री डीपी मिश्रा से नाराजगी थी। इसके साथ ही सरगुजा स्टेट में पुलिस कार्रवाई को लेकर दोनों के बीच विवाद बढ़ गया था। इस विवाद के बाद उन्होंने कांग्रेस छोड़ दी थी। साल 1967 में मध्य प्रदेश विधानसभा चुनाव हुए। राजमाता गुना संसदीय सीट से स्वतंत्र उम्मीदवार बनी और जीतीं भी। इसके बाद कांग्रेस में फूट का फ़ायदा उठाते हुए करीब 35 विधायक के समर्थन से उन्होंने डीपी मिश्रा की सरकार को गिरा दिया था और गोविंद नारायण सिंह को मध्यप्रदेश का मुख्यमंत्री बना दिया था।
नेहरू के कहने पर शुरू की थी सियासत
तत्कालीन प्रधानमंत्री पंडित जवाहर लाल नेहरू ने ग्वालियर के महाराज को कांग्रेस के टिकट पर चुनाव लड़ने की पेशकश की थी लेकिन उन्होंने मना कर दिया था जिसके बाद राजमाता सिंधिया को चुनाव लड़ने के लिए मनाया गया और पहली बार 1957 में सांसद बनीं। इसके बाद मध्य क्षेत्र में कांग्रेस को जबर्दस्त जीत मिली थी और पार्टी मजबूत हुई थी।
उपचुनाव
2018 में भी भाजपा ने बनाया था मुद्दा
2018 के विधानसभा चुनाव से पहले राजमाता के जन्म शताब्दी वर्ष को भव्य अंदाज़ में मनाए जाने की घोषणा खुद पार्टी अध्यक्ष अमित शाह ने भोपाल में की थी। इसके बाद ग्वालियर-चंबल में कई कार्यक्रम आयोजित हुए थे लेकिन ज्योतिरादित्य सिंधिया के प्रभाव के कारण पार्टी की इस क्षेत्र में हार हुई थी अब जब ज्योतिरादित्य सिंधिया भाजपा में ऐसे में भाजपा एक बार फिर से राजमाता के नाम का सहारा ले रही है। वहीं, ज्योतिरादित्य के भाजपा में शामिल होने के बाद भाजपा के मंचों पर माधवराव सिंधिया की फोटो भी लगाई जाती है।
कांग्रेस क्यों बना रही है मुद्दा
राजनीतिक जानकारों का कहना है कि ग्वालियर-चंबल में सिंधिया परिवार को नजर अंदाज नहीं किया जा सकता है। अब जब ज्योतिरादित्य सिंधिया खुद भाजपा में चले गए हैं तब कांग्रेस के सामने बड़े चेहरे का आभाव ऐसे में कांग्रेस राजमाता और माधवराव सिंधिया के नाम का भी सहारा लेकर मैदान में उतर रही है।

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