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भोपाल

भाजपा सांसद को बघेली में नहीं लेने दी गई शपथ, कहा- हिन्दी बोलो; संसद में पहली बार सिंधी में भी हुई शपथ

लोकसभा सांसदों को प्रटेम स्पीकर डॉ वीरेन्द्र खटीक ने शपथ दिलाई।
कई सांसदों ने अपनी-अपनी क्षेत्रीय भाषा में शपथ ली तो कई नेताओं ने अंग्रेजी में शपथ ली।
पीएम मोदी ने सबसे पहले हिन्दी में शपथ ली।

भोपालJun 18, 2019 / 09:17 am

Pawan Tiwari

rewa

भाजपा सांसद को बघेली में नहीं लेने दी गई शपथ, कहा- हिन्दी बोला; संसद में पहली बार किसी ने ली सिंधी में शपथ

नई दिल्ली/भोपाल. 17वीं लोकसभा सत्र के पहले दिन नवनिर्वाचित सांसदों को शपथ दिलाई गई। इस दौरान मध्यप्रदेश के रीवा संसदीय सीट से सांसद जनार्दन मिश्रा ने अपनी शपथ बघेली में शुरू किया। हालांकि बीच में उन्हें रोक दिया गया और उसके बाद उन्होंने अपनी शपथ हिन्दी में ली। शपथ लेने के दौरान जनार्दन मिश्रा ने बताया कि वो बघेली में शपथ ले रहे हैं जिसके बाद उन्हें कहा गया कि वो संसद में बघेली में शपथ नहीं ले सकते हैं। दूसरी तरफ इंदौर से सांसद शंकर लालवानी ने सिंधी में शपथ ली लेकिन उन्हें सिंधी में शपथ लेने में नहीं रोका गया।
क्यों रोका गया बघेली में शपथ लेने से
भारतीय संविधान की आठवीं अनुसूची में देश की करीब 22 क्षेत्रीय भाषाओं को शामिल किया गया है। भारतीय संविधान की आठवीं अनुसूची बघेली भाषा शामिल नहीं है। इसी कारण से रीवा से सांसद जनार्दन मिश्रा को संसद में बघेली भाषा में शपथ लेने से रोक दिया गया। वहीं, दूसरी तरफ बिहार के महाराजगंज से बीजेपी सांसद जनार्दन सिंह सिग्रीवाल ने भोजपुरी में शपथ लेने की इच्छा जाहिर की। लेकिन, 8वीं अनुसूची में भोजपुरी में के शामिल नहीं होने के चलते उन्हें हिंदी में शपथ लेनी पड़ी। भोजपुरी में शपथ नहीं लेने के कारण से बीजेपी नेता राजीव प्रताप रूडी ने आपत्ति भी जताई लेकिन बाद में उन्हें भी हिन्दी में शपथ लेनी पड़ी।
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कहां बोली जाती है बघेली
बता दें कि मध्यप्रदेश के विंध्य क्षेत्र में बघेली बोली जाती है। इस क्षेत्र को बघेलखंड के नाम से भी जाना जाता है। मध्यप्रदेश के रीवा, सतना, सीधी, सिंगरौली, शहडोल और अनूपपुर जिले में इस बोली को ज्यादातर बोला जाता है।
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साध्वी प्रज्ञा की शपथ के दौरान विवाद
भोपाल से भाजपा सांसद साध्वी प्रज्ञा सिंह के शपथ के दौरान विवाद हो गया। जिसे ही वो शपथ लेने आईं उन्होंने अपना नाम साध्वी प्रज्ञा सिंह ठाकुर स्वामी पूर्णचेतानंद अवधेशानंद गिरी के रूप में पढ़ा। तभी विपक्ष ने हंगामा शुरू कर दिया। विपक्ष को उनके नाम पर आपत्ति थी। इसके साथ ही प्रोटेम स्पीकर और लोकसभा कर्मियों ने भी उन्हें टोका। बाद में उन्होंने संस्कृत में शपथ ली।

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