इस धंधे से जुड़े गैस एजेंसी कर्मचारी ने नाम न छापने की शर्त पर बताया कि जिन घरों में 21 दिन पर दूसरा सिलेंडर नहीं लिया जाता, ऐसे उपभोक्ताओं की जानकारी गैस एजेंसी के कर्मचारियों को रहती है। ये उनके कंज्यूमर नम्बर पर गैस बुक कर लेते हैं और यही घरेलू गैस बाजार में बेच देते हैं। कई लोगों के सिलेंडर लेट आने के पीछे भी यही कालाबाजारी है।
ज्यादा सिलेंडर्स की मांग होने पर बुक किए गए सिलेंडर उपभोक्ताओं को पहुंचाने की जगह बेच दिए जाते हैं और बाद में आने वाली सप्लाई से उन्हें सिलेंडर दे देते हैं। सूत्रों की मानें तो कई गैस उपभोक्ता सब्सिडी चेक नहीं करते। घरेलू गैस के सिलेंडर लोगों की जरूरत और ग्राहक को देखते हुए 800 रुपए से लेकर 1000 रुपए तक में बिक्री की जाती है। शादी-सहालग के समय इसका मुनाफा और ज्यादा बढ़ जाता है।
गाडिय़ों के साथ मिनी सिलेंडर में भी उपयोग
घरेलू गैस सिलेंडर कॉमर्शियल गैस की तुलना में सस्ती होने के कारण इसका इस्तेमाल छोटे सिलेंडर्स को री-फिल करने और गैसचलित अनाधिकृत वाहनों में भी किया जाता है। 14.2 वजन की गैस वाला घरेलू सिलेंडर छात्रों या कामकाजी लोगों द्वारा अक्सर इस्तेमाल किए जाने वाले छोटे सिलेंडरों में भी गैस री-फिल करने के काम आता है।
जानकारों का कहना है कि छोटे सिलेंडर्स में 100 रुपए प्रति लीटर की दर से गैस री-फिल की जाती है। तमाम स्कूल व अन्य कार्यों में चलाए जा रहे हल्के व मध्यम वाहनों में अनाधिकृत रूप से घरेलू गैस की खपत व्यापक स्तर पर होती है। दुकानदार एक सिलेंडर गैस भरने का 1100-1200 रुपए तक लेते हैं। अन्य दिनों की अपेक्षा छुट्टी वाले दिन, रविवार को स्कूल वाहनों में ज्यादा गैस री-फिल होती है।
विभागीय टीम निगरानी रखती है और गड़बड़ी पाए जाने पर कार्रवाई करती है। पूर्व में फर्जीवाड़ा करने वाली गैस एजेंसियों पर प्रकरण भी दर्ज कराए गए हैं। जहां गड़बड़ी मिलेगी, वहां कार्रवाई की जाएगी।
ज्योति शाह नरवरिया, जिला आपूर्ति अधिकारी