डॉक्टर की सलाह ने बदल दी जिंदगी
बच्ची के लिए रक्तदान करने से ऐसा सुकून मिला कि राजवीर लगातार रक्तदान करने लगे। कहीं भी कैम्प लगता तो खुद पहुंच जाते। एक बार डॉक्टर ने बताया कि आपका ब्लड ग्रुप रेयर है। ऐसे कहीं भी रक्तदान मत करें। जरूरतमंद इस ग्रुप के लिए बहुत परेशान होते हैं। आप दूसरों की बेहतर मदद कर सकते हैं। राजवीर ने डॉक्टर की बात गांठ बांध ली, अब कोई भी ओ-निगेटिव ब्लड ग्रुप के लिए परेशान होता है तो उसके लिए तत्काल पहुंच जाते हैं।
महिलाओं को करती हैं प्रोत्साहित
पत्नी मिथलेश भी रक्तदान के लिए हमेशा आगे रहती हैं। रेलवे में कैंप लगता है तो वे आसपास की महिलाओं को भी वहां ले जात हैं। मिथलेश बताती हैं कि हम जहां भी रहे, आसपास की महिलाएं रक्तदान को पुरुषों को काम ही मानती थीं। ऑफिसर्स के समझाने पर भी वे रक्तदान नहीं करती थीं। फिर मैंने उन्हें समझाया। उनके सामने खुद रक्तदान कर उन्हें दिखाया। इसके बाद लड़कियां और बाद में महिलाएं भी आगे आने लगीं। मिथलेश भी अभी तक 12 बार से अधिक रक्तदान कर चुकीं हैं।
500 किलोमीटर का सफर
राजवीर बताते हैं कि 2007 में एक रिश्तेदार से पता चला कि अहमदाबाद में रोड एक्सीडेंट में घायल युवक को ओ-निगेटिव ब्लड की तत्काल जरूरत है। वे तत्काल कोटा से निकल पड़े। 500 किलोमीटर से अधिक का सफर तय करके अहमदाबाद पहुंचे और युवक के लिए रक्तदान किया। वे घायल युवक से मिल तो नहीं सके, लेकिन पता चला कि उसकी जान बच गई। हालांकि उस युवक से उनकी आज तक मुलाकात नहीं हो पाई है। लेकिन जब भी फोन पर बात होती है तो वह राजवीर को मामा बोलता है। इसी तरह रात तीन बजे रक्तदान करने से लेकर ट्रेन से गिरकर घायल हुए युवक की जान बचाने तक के लिए रक्तदान करने वाले राजवीर लगातार रक्तदान कर ज्यादा से ज्यादा लोगों के काम आना चाहते हैं।