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भोपाल

अपर आयुक्त को उपनगरों का जिम्मा, आयुक्त करें मॉनीटरिंग, तो 2 नगर निगम बनाना ही न पड़े

शासन ने 2015 में बनाया था नगर निगमों की प्रशासनिक व्यवस्था का नया सेटअप, अब तक लागू नहीं

भोपालOct 06, 2019 / 11:47 am

देवेंद्र शर्मा

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भोपाल. राजधानी में दो नगर निगम बनाने पर बन रही विवाद की स्थिति को दूर करने अपर आयुक्तों के हाथ में उपनगरों का प्रबंधन की प्रशासनिक व्यवस्था लागू करना फिर जरूरी हो गया है।

अपर आयुक्त स्तर के अफसर के हाथ में पूरे उपनगर का प्रबंधन और क्षेत्र की सफाई से लेकर फायर बिग्रेड, सिविल, पानी, बिजली समेत अन्य व्यवस्थाओं को लिए एक समर्पित अमला। लोगों की समस्याएं उनके क्षेत्र में अपर आयुक्त स्तर पर ही सुलझ जाएगी। नगर निगम को बांटने की जरूरत ही नहीं होगी। एक शहर में दो नगर निगम का विरोध करने शुक्रवार को महापौर आलोक शर्मा, पूर्व मंत्री व ऑल इंडिया मेयर एसोसिएशन के उमाशंकर गुप्ता व अन्य ने राज्यपाल से मुलाकात कर दो नगर निगम का प्रस्ताव रद्द करने का निवेदन किया।

वर्ष २०१५ में इस मंशा के साथ नगरीय प्रशासन ने पूरा ड्राफ्ट तैयार किया था। दिल्ली-मुंबई जैसे शहरों में अलग-अलग क्षेत्र की अलग नगर निगम बनी हुई है जिसका अपना पूरा सेटअप है और वे उसके आधार पर ही काम करती है। पूर्व टाउन प्लानर दिनेश शर्मा का कहना है कि राजधानी में कोलार, बैरागढ़, भेल, पुराना शहर और नया शहर ये पांच अलग-अलग हिस्से बन गए हैं। जोन स्तर पर समस्याएं दूर नहीं होने पर लोगों को कई बार 20 किमी तक की दूरी तय कर माता मंदिर निगम मुख्यालय आना पड़ता है। उनके ही क्षेत्र में आयुक्त की जिम्मेदारी संभालने वाले अपर आयुक्त स्तर के अधिकारी होंगे तो वहीं काम हो जाएगा।

गौरतलब है कि लोगों की समस्याएं, दिक्कतें दूर नहीं होने की बात कहकर ही जिला कांग्रेस के अध्यक्ष कैलाश मिश्रा ने शहर में दो निगम बनाने का प्रस्ताव शासन को दिया है। इसपर ही विवाद शुरू हुआ। भाजपा ने कांग्रेसी सरकार पर आरोप लगाया है कि वो राजधानी में अपना महापौर बनाना चाहती है इसलिए ये अलगाव कर रही है। प्रमुख सचिव नगरीय प्रशासन संजय दुबे का कहना है कि शासन ही निर्णय लेता है वहां से जैसे निर्देश होंगे उसकी तरह से काम करेंगे।

उपनगर के प्रबंधन की ऐसी है नई व्यवस्था

– एक उपनगर एक अपर आयुक्त की तर्ज पर तमाम व्यवस्थाएं वहीं विकसित करना

– आयुक्त की तरह अपर आयुक्त उस क्षेत्र की तमाम व्यवस्थाओं का जिम्मेदार
– फिलहाल वार्ड और जोन बना रखे हैं और इनके अलग-अलग प्रभारी भी है।

– वार्ड व जोन प्रभारी सिर्फ संपत्तिकर वसूली के मामले ही देखते हैं, अन्य में अधिक दखल नहीं
– सफाई, सडक़ या गली, नाली निर्माण से जुड़ा मामला हो तो निगम मुख्यालय जाना पड़ता है

राज्यपाल को दिया ज्ञापन

शुक्रवार दोपहर में राज्यपाल को ज्ञापन देकर शहर को दो नगर निगम नहीं बनाने की मांग की। इसके साथ ही पार्षदों से महापौर का चयन नहीं कराने के लिए भी निवेदन किया। प्रतिनिधि मंडल में भोपाल महापौर आलोक शर्मा, पूर्व मंत्री उमाशंकर गुप्ता, देवास महापौर सुभाष शर्मा, विधायक कृष्णा गौर साथ थी। महापौर आलोक शर्मा ने बताया कि कांग्रेस शहर को बांटकर राजनीतिक हित साधने की कोशिश कर रही है, ऐसा नहीं होने दिया जाएगा।

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