भोपाल. नगर निगम के खजाने से 150 मिडी बसें खरीदने का फैसला निरस्त होने के बाद भोपाल सिटी लिंक लिमिटेड को अब ‘अपनी बसें लाओ चलाओ और मुनाफा कमाओÓ की शर्त पर बस ऑपरेटर्स की तलाश है। इससे पहले ऑपरेटर्स को 10 सितंबर तक ऑफर्स जमा कराने के लिए कहा गया था, लेकिन एक भी बोली नहीं आई। शहर के फैलते आकार और अंदरूनी मार्गों की कनेक्टिविटी के लिए छोटे साइज की 32 सीट वाली मिडी बसें चलाने की कोशिशें की जा रही हैं। पहले निगम ने इन बसों को अमृत प्रोजेक्ट के फंड से खरीदने की बात की थी, पर अमृत की फंडिंग स्मार्ट सिटी प्रोजेक्ट में मर्ज होने के बाद अब ये रास्ता भी बंद हो गया है। बीसीएलएल का साफ कहना है कि बसों पर अब और अधिक फंड खर्च नहीं किया जाएगा और ठेकेदार सेल्फ प्रॉफिट-लॉस फार्मूले पर बसें चलवाएंगे।
इसलिए चलनी हैं मिडी बसें
बढ़ती आबादी, नए इलाकों का विकास और पुराने शहर की सिकुड़ती सड़कों के चलते मिडी बसें चलाने का फैसला लिया गया था। बसों को अमृत के फंड से खरीदा जाना था। छोटी और 32 सवारी ढोने वाली ये बसें उन रूट पर चलेंगी, जहां 52 सीटर लो फ्लोर बसों के हिसाब से पैसेंजर लोड कम था। बीसीएलएल अब इन रूट्स पर खुद बसें नहीं चलाकर इसे प्रायवेट ऑपरेटर की ऑनरशिप में चलवाकर घाटे से दूर रहना चाहता है।
70 करोड़ की लो-फ्लोर बसें हुईं कंडम
2009 में जेएनआरयूएम फंड में मिले 70 करोड़ रुपए से 150 लो फ्लोर बसें खरीदी गई थीं। उस वक्त बीसीएलएल के खाते में जमा रकम के ब्याज से ही बसों का मेंटेनेंस कर लिया जाता था। आमदनी कम होने से बचत राशि कम होती गई। प्रसन्ना पर्पल ने इसी वजह से काम बंद कर दिया। अब दुर्गम्मा और बल्लाल नामक दो ऑपरेटर ये बसें चलवा रहे हैं।
सेल्फ ऑनरशिप-मेंटनेंस और ऑपरेशन मोड पर ऑपरेटर्स से ऑफर्स मांगे गए हैं।
-छवि भारद्वाज, आयुक्त, नगर निगम