बॉण्ड के मामले में इंदौर के बाद भोपाल प्रदेश में दूसरा नगर निगम होगा। जबलपुर और ग्वालियर नगर निगम भी इसके लिए तैयारी कर रहे हैं। अब तक पूरे देश में तीन नगर निगम हैदराबाद, पुणे और इंदौर खुद को एनएसई में लिस्टेड कर बॉण्ड जारी कर चुके हैं। इंदौर फिलहाल केंद्र सरकार की अमृत योजना और स्वच्छ भारत मिशन के लिए 170 करोड़ रुपए का बॉण्ड जारी कर रहा है। बताया जाता है कि शुरुआती रिस्पांस इंदौर को अच्छा मिला है।
यहां के निगम अफसर जल्द ही नए बॉण्ड भी जारी करने की बात कह रहे हैं। इंदौर नगर निगम के बॉण्ड 15 फीसदी रिटर्न के साथ 2028 में मैच्योर होंगे। ब्याज का 13 फीसदी केंद्र दे रहा है, जबकि दो फीसदी शहर के नागरिकों को वहन करना होगा। भोपाल के लिए अभी ब्याजदर और मैच्योरिटी टाइम तय करना बाकी है। इसकी प्रक्रिया चल रही है। गौरतलब है कि नगर निगम भोपाल को बॉण्ड जारी करने की रैकिंग में केंद्र की ओर से बी माइनस दिया गया है। यह निगम के ठीकठाक आर्थिक स्थिति को बताता है। यानी केंद्र ने भोपाल निगम को बॉण्ड जारी करने हरी झंडी पहले ही दे दी है।
करोंड़ों के प्रोजेक्ट, तिनके का सहारा
बॉण्ड भले ही नगर निगम की साख पर आधारित कर्ज हो, लेकिन शहर में चल रहे करीब 6000 करोड़ रुपए के प्रोजेक्ट के लिए ये राशि तिनके का सहारा वाली ही है। शहर में हाउस फॉर ऑल के लिए ही 800 करोड़ रुपए चाहिए। स्मार्टसिटी के प्रोजेक्ट पूरे करने 3745 करोड़ रुपए का खर्च प्रस्तावित है। ऐसे में 165 करोड़ रुपए के म्यूनिसिपल बॉण्ड एक छोटी सी मदद की तरह ही है।
निगमायुक्त अविनाश लवानिया का कहना है कि बॉण्ड की प्रक्रिया की जा रही है। जल्द ही अच्छे नतीजे सामने आएंगे। गौरतलब है कि अभी विकास प्रोजेक्ट की राह में वित्तीय संकट उभर जाता है और प्रोजेक्ट बंद हो जाते हैं। ऐसे समय में बॉण्ड से राशि की व्यवस्था हो सकेगी।
समय-सीमा के साथ तय होगा ब्याज
स्टॉक एक्सचेंज एक्सपर्ट आदित्य मनिया का कहना है कि बॉण्ड कई स्वरूप में जारी होता है। एक निश्चित समय सीमा और ब्याजदर के साथ बाण्ड दिए जाते हैं। तय समय बाद इन्हें कैश करा लिया जाता है। इसके लिए डीमेट खाता खोलना जरूरी होता है। लोगों में विश्वास जगाया जाए तो बॉण्ड की खरीदी होती है और संस्था के पास पैसा आ जाता है।