जेल स्टाफ की पदोन्नति प्रक्रिया का सरलीकरण, प्रशिक्षण आदि के साथ एक हजार से अधिक नए नियमों को शामिल किया है। जेल मुख्यालय की मानें तो वर्ष 1894 का बना जेल अधिनियम देशभर में चला आ रहा था, इसके आधार पर राज्य सरकार ने अपने नियम बनाए थे।
ब्यूरो ऑफ पुलिस रिसर्च एंड डेवलपमेंट (बीपी एंड आरडी) के तहत मई 2003 में गृह मंत्रालय ने एक मॉडल जेल मैनुअल सभी राज्यों को भेजा था। राज्यों से यह भी कहा गया गया कि इस मॉडल जेल मैनुअल के अनुसार सभी राज्य अपने-अपने राज्यों का जेल मैनुअल तैयार करें। मध्यप्रदेश में 2016 में यह मॉडल पर ड्रॉफ्ट बनना शुरू हुआ था।
– डीजी जेल की निगरानी में तैयारी
नया जेल मैनुअल बनाने वाली कमेटी के अध्यक्ष डीजी जेल संजय चौधरी हैं। कमेटी में गृह मंत्रालय के रिटायर्ड अफसर, प्रदेश के अनुभवी सेवानिवृत्त जेल अफसर और विधि अधिकारी सदस्य हैं। कमेटी ने जेल मैनुअल का ड्रॉफ्ट लगभग तैयार कर लिया है।
– बिना वकील नहीं रहेगा कोई बंदी
न्यायिक अधिकारों की रक्षा का प्रबंध भी किया गया है। जेल में हर बंदी को नि:शुल्क कानूनी सहायता के लिए वकील दिए जाने की व्यवस्था होगी। यदि बंदियों को आयुर्वेदिक दवा चाहिए तो वह भी मिलेगी। शिक्षा और कौशल उन्नयन के लिए बंदियों को प्रशिक्षित किया जाएगा, ताकि जेल से निकलने के बाद वह आत्मनिर्भर होकर खुद का रोजगार कर सकें।
खेल, मनोरंजन के साथ बंदियों के पैरोल पर छूटने की पात्रता पर विशेष जोर दिया गया है। जेलों में क्षमता से अधिक बंदी रहने पर उसे कम करने नए जेल और बैरक बनाए जाएंगे। नए जेल मैनुअल में राज्य की जेलों में बंद कैदियों को मध्यप्रदेश की संस्कृति, रहन-सहन, खान-पान पर विशेष ध्यान दिया गया है।
गृह मंत्रालय ने एक मॉडल जेल मैनुअल सभी राज्यों को भेजा है। राज्यों से कहा गया कि वे इसके आधार पर अपने-अपने राज्यों का जेल मैनुअल तैयार करें। यह ड्राफ्ट तैयार किया जा रहा है, जिसे बदलाव के लिए विधानसभा में रखा जाएगा।
– संजय चौधरी, डीजी, जेल