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भोपाल

VIP के लिए खास मरम्मत और आम कर्मचारी के भवनों के लिए बजट भी पर्याप्त नहीं

मंत्रियों-अफसरों के बंगलों पर चल रही तोडफ़ोड़, निचले स्तर के सरकारी आवास की सुध लेने वाला कोई नहीं
 

भोपालFeb 08, 2019 / 08:54 am

Radhyshyam dangi

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भोपाल. एक तरफ जहां मंत्रियों और अफसरों के बंगलों पर करोड़ों रुपए से मरम्मत की जा रही है, वहीं दूसरी तरफ आम कर्मचारियों के एफ, जी, एच और आई श्रेणी के आवासों की दुर्दशा हो रही है। कर्मचारियों के आवासों के लिए लोक निर्माण विभाग के पास पर्याप्त बजट तक नहीं होता है। इन आवासों में यदि रंगाई-पुताई और सामान्य नल-टोंटी ठीक करवाना हो तो कर्मचारियों को पसीना आ जाता है,
लेकिन काम नही होता है। वहीं, मंत्रियों और चार इमली के अफसरों के बंगलों में बेतहाशा फिजूलखर्ची कर जो सामग्री लोक निर्माण विभाग के एसओआर में नहीं है, वह सामग्री लगाई जा रही है। जबकि निचली श्रेणी के आवासों में समय पर एसओआर की सामग्री तक नहीं लगाई जाती है। कोटरा-सुल्तानाबाद, शिवाजी नगर, तुलसी नगर और चार इमली के करीब ४ हजार सरकारी आवास के लिए पिछले साल महज ६ करोड़ बजट था। कम पड़ा तो बाद में २ करोड़ फिर से बढ़ाया गया। इसी तरह २०१८-१९ के लिए भी ६ करोड़ रुपए के टेंडर निकाले गए है।
इसी तरह तुलसी नगर, ७४ बंगले, ४५ बंगले और श्यामला हिल्स के करीब ६५०० आवासों की भी यही स्थिति है। इनके लिए भी अलग से बजट प्रावधान करने के बजाय हर छोटे काम के लिए उच्च स्तर तक फाइल पहुंचाना होती है, इससे काम होने में भी समय लगता है और बजट की भी समस्या हर समय बनीं रहती है। इन श्रेणियों के आवासों में ८ सालों तक पुताई तक नहीं होती है। इसे लोक निर्माण विभाग के अफसर भी मानते हैं, लेकिन वे भी नियमों का हवाला देकर काम नहीं कर पाते हैं।
श्रेणीवार भवनों की स्थिति

एफ श्रेणी के १९८१, जी श्रेणी के ३६४९, एच श्रेणी के २१५९ और आई श्रेणी के २५०९ यानी कुल १०२९८ भवन है। इनकी मरम्मत के लिए बहुत की कम बजट रखा जाता है। जबकि बी, सी, डी व ई श्रेणी के ९०४ ही भवन है, लेकिन इनकी मरम्मत के लिए सालाना करोड़ों रुपए बजट खर्च किया जाता है।
परेशान होकर छोड़ दिया

मैं कई सालों से सरकारी आवास में रहता आया हूं, लेकिन अब न तो रिपेयरिंग होती है और न ही रंगाई-पुताई। परेशान हो गया तो मैंने सरकारी आवास ही छोड़ दिया। साउथ टीटी नगर में रहने वालों को इतनी परेशानी हो रही है कि लोक निर्माण विभाग के कहे बिना ही लोग आवास छोडक़र जा रहे हैं। ३०-४० साल से लोग यहां रह रहे हैं, लेकिन अब मकानों की दयनीय स्थिति हो गई। बजट का भी पता नहीं होता है।
लक्ष्मीनारायण शर्मा, महामंत्री, शासकीय तृतीय वर्ग कर्मचारी संघ
पिछले दो-तीन साल में हमने एफ व अन्य श्रेणी के आवासों में काफी काम किया है। बाथरुम, किचन, टाइल्स और रंगाई-पुताई का अधिकांश आवासों में काम हो चुका है। किसी आवास में यदि कोई काम करवाना हो तो उसकी फाइल ऊपर तक भेजना होती है, इसलिए समय अधिक लगता है, लेकिन काम हो जाता है।
पंकज व्यास, कार्यपालन यंत्री, नया भोपाल संभाग पीडब्ल्यूडी

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