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भोपाल

उपचुनावः अब प्यादों पर टिका शह-मात का खेल, नतीजों से पहले BJP-कांग्रेस की रणनीति तैयार

भाजपा ने निर्दलियों को मिलाकर बढ़ाई ताकत, कांग्रेस की नजर भाजपा की कमजोर कडिय़ों पर

भोपालOct 25, 2020 / 05:20 am

Hitendra Sharma

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भोपाल. मध्य प्रदेश में चुनावी शतरंज पर आगे चलकर भाजपा और कांग्रेस के बीच शह-मात का खेल ‘प्यादों पर टिकना तय हो गया है। नतीजों से पहले स्थिति को भांपकर भाजपा ने ताकत बढ़ानी शुरू कर दी है। उसने पहला दांव चलते हुए निर्दलीय विधायकों को साथ लाकर अपना अंक गणित मजबूत किया है। वहीं, कांग्रेस अलग तरह से अपनी चाल चलने की कोशिश में है।

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मौजूदा सियासी परिदृश्य में प्रदेश में सरकार बनाने के लिए भाजपा को 9 सीटें चाहिए। कांग्रेस को सभी 28 सीटों की दरकार है। नतीजों के बाद यदि कांटे की टक्कर की स्थिति बनती है तो दोनों पार्टियां क्या दांव चलेंगी, इसकी बिसात अभी से बिछने लगी है।

भाजपा ने निर्दलीय, सपा और बसपा के विधायकों को साथ लेकर समर्थन जुटाना शुरू कर दिया है, ताकि सीटों के अंक गणित में उसका पलड़ा भारी रहे और कांग्रेस सत्ता से दूर रहे। वहीं कांग्रेस अब भाजपा की कमजोर कडिय़ों को तोड़कर अपनी ताकत बढ़ाने के प्लान बी पर काम कर रही है।

खरीद-फरोख्त की आशंका को लेकर भी दोनों पार्टियां अपनी-अपनी आगे की चालें तय कर रही हैं।
कांग्रेस को पता है कि उपचुनाव में उसके लिए सभी 28 सीटें जीतना आसान राह नहीं है। इसलिए पार्टी ने 28 में से केवल 15 सीटों को जीतकर सत्ता तक पहुंचने की व्यूह-रचना शुरू कर दी है।

भाजपा: निर्दलीय समर्थन से नए गणित
भा जपा का दावा सभी सीटों को जीतने का है, लेकिन अंदरूनी तौर पर नेताओं को अहसास है कि ऐसा होना मुश्किल है। इसलिए पार्टी अपने विधायकों को संभालने के साथ ताकत बढ़ाने की राह पर है। बिना समर्थन के भाजपा को ९ सीटों की दरकरार है। अभी उसके 107 विधायक हैं। इसलिए भाजपा ने दो दिन पहले निर्दलीय विधायक केदार डाबर को लाकर समर्थन की घोषणा कराई। निर्दलीय विधायक सुरेंद्र सिंह शेरा और केदार डाबर दोनों से समर्थन की चिट्ठी लिखवाई गई है। पत्रों को विधानसभा सचिवालय को भेजा गया है। खास ये कि इस तकनीकी पहलू का भी भाजपा ने ध्यान रखा है, ताकि सीटों के गणित में वह मजबूत हो सके।

निगरानी तंत्र भी सक्रिय
भाजपा में सत्ता-संगठन ने निर्दलीय और सपा-बसपा को साथ लाने के साथ प्लान-बी पर भी काम शुरू किया है। पार्टी की कमजोर कडिय़ों पर निगरानी रखने और उन्हें टूटने से रोकने के लिए नेताओं को जिम्मा सौंपा गया है। ऐसे विधायक चिह्नित किए जा रहे हैं, जो असंतुष्ट हैं या फिर कांग्रेस के संपर्क में हैं। इन विधायकों को समझाइश देने के साथ सरकार बनने पर बाद में एडजेस्ट करने का दांव चला जा रहा है।

नया अंक गणित 114 विधायकों का
बसपा के दो, सपा के एक विधायक का समर्थन पहले से भाजपा को है। निर्दलीय विधायक प्रदीप जायसवाल व विक्रम सिंह राणा समर्थन दे चुके हैं। केदार व सुरेंद्र के समर्थन के बाद अब भाजपा का नया अंक गणित 107 प्लस 7 यानी 114 सीटों का हो गया है। ऐसे में उसे केवल दो सीटें सरकार बनाने के लिए चाहिए।

कांग्रेस: प्लान-बी पर किया पूरा फोकस
कांग्रेस ने सीटों के समीकरण के हिसाब से आगे चाल चलना तय किया है। पार्टी नेताओं को पता है कि 28 सीटों की जरूरत उपचुनाव के नतीजे पूरी नहीं कर सकते। इसलिए कांग्रेस ने प्लान-बी पर काम शुरू किया है। कोशिश 15 सीटें जीतने की है। प्लान के तहत कांग्रेस नहले पर दहला मारते हुए भाजपा विधायकों को ले उडऩे की प्लानिंग कर रही है, ताकि भाजपा को सत्ता गिराने का जवाब दिया जा सके। इसके लिए भाजपा विधायकों की माइक्रो-स्क्रीनिंग कर ली गई है। कांग्रेस बसपा, सपा और निर्दलीय विधायकों के भी संपर्क में है, ताकि यदि सरकार बनाने में इन्हीं की जरूरत पड़े तो वापस पाले में किया जा सके।

विधायकों की माइक्रो-स्क्रीनिंग
कांग्रेस ने बकायदा भाजपा के सारे विधायकों की माइक्रो-स्क्रीनिंग की है। इसके तहत प्रत्येक भाजपा विधायक का बैकग्राउंड और उसके दल बदलने की संभावना को देखा गया है। इसमें वरिष्ठता क्रम के हिसाब से विधायकों की स्क्रूटनी की गई है। इसमें ऐसे 16 विधायक चिह्नित किए गए हैं, जो अच्छा ऑफर मिलने और बेहतर स्थिति के हिसाब से भाजपा छोड़कर कांग्रेस के साथ आ सकते हैं।

यह है पार्टी की पूरी प्लानिंग
कांग्रेस ने उन विधायकों को रखा है, जिनका भाजपा में अब राजनीतिक कॅरियर खास नहीं है या जिन्हें भाजपा में कुछ पाने के लिए लंबा इंतजार करना होगा। कांग्रेस ऐसे विधायकों को साथ मिलाकर सत्ता में भागीदारी, मंत्री पद का ऑफर दे सकती है। कांग्रेस ने इस पर भी वर्कआउट किया है कि किसे-क्या दिया जा सकता है।

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