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भोपाल

सैक्रीन, केमिकल एसेंस, अरारोट आदि मिलाकर तैयार किया जा रहा जूस

मिलावट वाले नुकसानदेह कई अन्य शीतल पेय भी जगह-जगह उपलब्ध…

भोपालApr 07, 2019 / 08:03 am

दिनेश भदौरिया

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सैक्रीन, केमिकल एसेंस, अरारोट आदि मिलाकर तैयार किया जा रहा जूस

भोपाल. गर्मी शुरू होने के साथ ही शहर में जगह-जगह शीतल पेय के माध्यम से खतरनाक केमिकल परोसे जा रहे हैं। धूप तेज होते ही गली-गली में ठेले और छोटी दुकानों पर बर्फ के गोले, चुस्की, सोडा, रंगीन शर्बत, फलूदा, बादाम शेक 5 से 30 रुपए तक बिक रहे हैं। इसे मीठा करने के लिए चीनी की जगह सैकरीन जैसे खतरनाक तत्व मिलाए जा रहे हैं।

इसके अलावा शेक आदि में अधिक मुनाफा कमाने के लिए शेक में अरारोट, सोया मिल्क, नान फूड कलर के साथ ही दूध के बदले यूरियायुक्त दूध का प्रयोग भी किया जा रहा है जो कि स्वास्थ्य के लिए अत्यंत हानिकारक है। जनवरी में ही खाद्य विभाग ने 10 सैंपल लेकर जांच के लिए लैब भेजे हैं पर अब तक जांच रिपोर्ट नहीं आई है।
शहर में खुलेआम बिक रहे जहर को ले खाद्य विभाग भी मौन है। कार्रवाई तो दूर टीम जांच भी नहीं कर रही। शहरी क्षेत्र में ही इस तरह की करीब एक हजार से अधिक दुकानों के माध्यम से स्तरहीन, मिलावटी पेय परोसा जाता है। बर्फ किस पानी से बनाया गया है, रंगीन चासनी में कौन सा केमिकल मिला है, यह सोचे बगैर लोग चाव से इसका सेवन कर रहे हैं।

आम बाजार में अभी आए नहीं और इसका जूस पांच से दस रुपए में शहरभर में बिक रहा है। गन्ने का रस भी पांच से दस रुपए में मिठास के साथ बिक रहा है। इसकी हकीकत जानी तो पता लगा मिठास में मिलावट का खेल हो रहा है। केमिकल और सेक्रीन मिला इनका स्वाद और रंग बदलकर लोगों के सामने परोसा जा रहा है।
ये सामान भी धड़ल्ले से बिक रहा है। सेहत से खिलवाड़ पर जिम्मेदार बेखबर हैं। अभी आम में केरी ही पूरी तरह विकसित नहीं हुई है। गन्ने में भी अभी उतनी मिठास नहीं है, लेकिन आधे बर्फ मिला गन्ने का पीठा रस बिक रहा है। जब नीबू- 4-5 रुपए प्रति नग बिक रहा है, तो नीबू का रस पांच रुपए में कैसे बनेगा।
जुमेराती, जनकपुरी, आजाद मार्केट आदि में इन्हें बनाने के सामान का थोक और फुटकर बाजार है, जहां सभी प्रकार के केमिकल एसेंस, सैक्रीन, कलर्स, फ्लेवर्स आदि सामान बड़ी मात्रा में बिक रहा है। किराना मर्चेन्ट बताते हैं कि उनके पास जलेबी, इमरती, नुकती में मिलने के लिए सभी रंग है।
100 ग्राम की डिब्बी 20 रुपए की है। एक दुकानदार से पार्टी के लिए आम का जूस बनाने के लिए एसेंस मांगा तो दुकानदार ने पीकॉक ब्रांड केमिकल 45 रुपए की शीशी- 50 ग्राम की बताई। मिक्सिंग का तरीका पूछा तो दुकानदार ने कहा कि बनाने वाले को बता देना। 200 से 300 लोगों के लिए इससे जूस बन जाएगा।
नहीं की जाती जांच
शहर में आम का जूस, गन्ने का रस सहित इस तरह के पेय पदार्थों की शहर में लगभग एक हजार से अधिक दुकानें शुरू हो गई हैं। इनमें किस गुणवत्ता का सामान बिक रहा इसकी जांच के लिए प्रशासन बेपरवाह है। अब तक इस पर कोई कार्रवाई नहीं हुई। जबकि अधिकांश दुकानों में सेहत से खिलवाड़ कर स्वाद के लिए मिलावट हो रही है।
मिलावटी पेय पदार्थो से तत्काल नुकसान के रूप में सेकरीन से गला खराब होता है, एलर्जी और व्यक्ति को संक्रमण रोग हो सकता है। इनके ज्यादा उपयोग से हार्ट अटैक भी हो सकता है। इसी तरह खाने में उपयोग हो रहे सस्ते खाने के रंग जैसे लाल रंग के लिए रोडामिन बी, पीले के लिए मेटानिल यलो, नारंगी के लिए ऑरेंज टू, हरे के लिए मैलकाइन ग्रीन का इस्तेमाल किया जाता है। ये स्वास्थ्य के लिए हानिकारक है।

फैक्ट फाइल
– मैंगो-पाइनेपल जूस की दुकानें – 150
– शिकंजी-जलजीरे के ठेले – 500
– गन्ना जूस की चरखियां – 250
– फ्लेवर्ड सोडा वाटर के ठेले- 75
– बर्फ के गोले के ठेले – 100
– मटका कुल्फी वाले – 160
ये है बनाने की लागत
– 100 ग्राम सेकरीन से 6 किलो चीनी की मिठास, कीमत 35 से 40 रुपए
– आम, पाइनेपल, नीबू आदि रस 500 लीटर जूस
– एसेंस- 10 से 20 मिली लीटर- 20 से 30 रुपए
– साइट्रिक एसिड- 10 रुपए में
– अरारोट करीब एक से डेढ़ किलो- 30 रुपए का
– औसतन सौ से डेढ़ सौ रुपए की लागत में 50 लीटर जूस

गन्ने वाले भी करते खेल
कोलार रोड पर गन्ने की चरखी चलाने वाला के यहां टीम गई तो वहां भी मिलावट का खेल जारी था। गन्ने में नीबू के साथ एक नमक डालने जैसी डिब्बी में सैक्रीन पाउडर नीचे रखा हुआ था। दो बार गन्ने को चरखी में घुमाने के बाद नीबू लगाने के बहाने गन्ने के बीच में सेक्रीन का पाउडर छिड़कने के बाद उसका रस मिला रहा था।


अखाद्य रंगों व प्रिजर्वेटिव से डायरिया, डिसेंट्री, वोमिटिंग, गेस्ट्रोइंटाइटिस, लिवर डिसीज, किडनी, कैंसर होने का खतरा रहता है। सैक्रीन में मिठास के साथ कडुवाहट महसूस होना एवं गले का सूखना मुख्य लक्षण है। 5-10 रुपए में मिलने वाले सस्ते रंगों से बचें और नेचुरल फल या जूस का सेवन करें।
– डॉ. सुधीर पांडेय, आरएमओ, जिला आयुर्वेदिक हॉस्पिटल

सैक्रीन, केमिकल कलर और प्रिजर्वेटिव्स से बने फ्लेवर्ड पेय पदार्थ बेचने वाली दुकानों की जांच के निर्देश दिए जा रहे हैं। मिलावटी आम, नीबू रस, पाइनेपल, गन्ने का रस बेचने वालों की भी चेकिंग की जाएगी।
– ब्रजेश सक्सेना, ज्वाइंट कंट्रोलर, एफडीए

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