सारा टारगेटस ब्रांड पर है, नो लोगोज का कॉन्सेप्ट लागू करने के लिए सरकार को इसमें दखल देने की जरूरत है ताकि निचले स्तर पर प्रोडक्ट बनाने वालों को भी बराबर का मौका मिल सके। मप्र के कुछ ऐसे ही केस स्टडी पर बेस्ड पेपर को भोपाल की निकिता खन्ना पेरिस में होने वाली इंटरनेशनल कॉन्फ्रेंस में प्रेजेंट करेंगी। 2 से 4 नवम्बर तक पेरिस की सोरबोन यूनिवर्सिटी में होने वाली इंटरनेशनल कॉन्फ्रेंस ऑफ मॉर्डन एप्रोच इन ह्यूमैनिटी में निकिता is globalization leading to no choice and no space विषय पर पेपर प्रेजेंट करेंगी।
डबल ब्लाइंड पियर रिव्यू के जरिए होता है सलेक्शन
निकिता ने बताया कि मैंने इस कॉन्फ्रेंस के ऑनलाइन आवेदन दिया था। मेरे एब्सट्रैक्ट को सलेक्ट किया गया। इसमें सलेक्शन डबल ब्लाइंड पियर रिव्यू के जरिए होता है। इसमें सिर्फ टॉपिक पर बेस्ड एब्सट्रैक्ट ही होता है कहीं भी कैंडिडेट का नाम, यूनिवर्सिटी या देश का नाम नहीं लिखा होता है। जब एब्सट्रैक्ट भेजा जाता है तो उसे कॉन्फ्रेंस की जूरी तीन चरणों में देखती है। इस प्रेजेंटेशन के बाद यह पेपर इंटरनेशनल जर्नल्स में पब्लिश हो जाएगा। निकिता ने बताया कि वे पिछले काफी समय से इस टॉपिक पर रिसर्च कर रही थी।
डीयू की ओवरऑल टॉपर रह चुकी हैं निकिता
निकिता ने बताया कि सिविल स्पेसेस, एम्प्लायमेंट, ह्यूमन राइट्स, डिग्रेडेशन ऑफ लेबर पर किस तरह ब्रांड के जरिए असर पड़ रहा है इन टॉपिक्स पर भी पूरी बात होगी। कॉन्फ्रेंस में विश्व भर से करीब 50 लोगों को सलेक्ट किया गया है। सेंट जोसेफ को-एड से स्कूलिंग के बाद डीयू से ग्रेजुएशन और जेएयनू से पोस्ट ग्रेजुएशन कर चुकी निकिता डीयू के इंद्रप्रस्थ कॉलेज की ओवरऑल टॉपर रह चुकी हैं। वर्तमान में वे राजधानी के अटल बिहारी इंस्टीट्यूट ऑफ गुड गवर्नेंस एंड पॉलिसी में स्ट्रेटजिक कंसल्टेंट के तौर पर काम रही हैं। निकिता की मां कविता खन्ना और पिता संजय खन्ना भोपाल में ही इंडस्ट्रलिस्ट हैं।