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भोपाल

सुहानी शाम ने सुनाया बादलों का राग

भारत भवन में ‘बादल राग-16’ समारोह का आयोजन

भोपालSep 08, 2018 / 09:33 pm

hitesh sharma

bharat bhawan

सुहानी शाम ने सुनाया बादलों का राग

भोपाल। भारत भवन में भारतीय कलाओं में पावस का सौंदर्य बिखरते ‘बादल राग-16″ समारोह में शनिवार की शाम संगीत की तीन सभाएं हुई। गायन ने जहां संस्कृति और परंपरा का परिचय दिया। वहीं सुरीले संगीत ने ऐसा रस घोला कि, जिसकी मिठास लंबे समय तक महसूस होती रहेगी। इतना ही नहीं कलाकारों के गायन में बूंदों के मौसम के विविध अंग झलक उठे।

आयोजित सभाओं में श्रोता-दर्शकों ने ‘मल्हार”के विभिन्न् अंगों का आनंद लेकर दिन यादगार बनाया। इस मौके पर शास्त्रीय गायिका शास्वती मंडल ने राग जयंत मल्हार में बड़ा खयाल ‘चमकत बिजुरिया आई री बदरिया…”सुनाया। इसके बाद राग बागेश्री में टप्पा की प्रस्तुति दी। यह प्रस्तुति रूपक ताल में निबद्ध रही। कार्यक्रम का संचालन कला समीक्षक विनय उपाध्याय ने किया।

 

संगीत सभा में शास्त्रीय गायिका मधुमिता नकवी ने गायन की शुरुआत खयाल से की। छोटे खयाल में उन्होंने ‘उमड घुमड आयो रे बदरा….” बंदिश सुनाई। इसके बाद राग गोड मल्हार में खयाल ‘घनघोरी आयोरी मां….” और मिया मल्हार में छोटा खयाल ‘बोले पपीहरा…” सुनाया।

प्रस्तुति का समापन उन्होंने राम मिश्र खमाज में झूला ‘सावन की ऋतु आई रे बलमा…” सुनाई। मधुमिता ने रागों के विषय में बताया कि इन रागों को किसी भी समय गाया जा सकता है। इन्हें गाने के लिए बारिश होने का इंतजार करने की जरूरत नहीं है। इस राग को गाने से हृदय में एक प्रसन्न्ता, हरियाली, खुशहाली का भाव प्रकट होता है। प्रस्तुति उनके साथ हारमोनियम पर प्रतिमा दास मजूमदार, तबले पर सलीम अल्लावाले और वायलिन पर राघवेंद्र व्यास ने लहरा दिया।

 

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गायक विवेक करमहे की शानदार प्रस्तुति हुई। उन्होंने गायन की शुरुआत के लिए राग गोड़ मल्हार का चयन किया। इस राग को विस्तार देते हुए उन्होंने ग्वालियर घराने की पारंपरिक रचना ‘पपि दादरवा बुलाए रे….” सुनाई। यह रचना तिलवाड़ा ताल में निबद्ध रही। इसके बाद इसी राग में तीन ताल की रचना ‘बदरिया छाई सावन की…” सुनाई।

विवेक कहते हैं, जब मैं गुरु अप्पा जी(पद्मविभूषण स्व. गिरिजा देवी) और (पद्मश्री उल्लहास करमाकर)से गायन सीख रहा था। तब सिर्फ गायन नहीं बल्कि जीवन का अनुशासन भी सीखा। उन्होंने बताया कि, अप्पा जी को बनारस घराने की ठुमरी क्वीन कहा जाता है। जब वे ठुमरी गाना सिखाती थीं। वे चाहती थीं कि शिष्य सिर्फ गाए नहीं बल्कि ठुमरी की जान उसकी पकड़ अंदर तक जाए। रस के भरे तोरे नैंन… सिखा रही थीं। शिष्यों से कहा, पहले कल्पना करों आंखो में आंसू किस प्रकार आए, मन में किस प्रकार का भाव रहा है। फिर मजाक करते हुए कहा, अभी शादी नहीं हुई है न इसलिए प्रेम करना आ नहीं रहा है तुम लोगों को। प्रस्तुति में विवेक के साथ तबले पर अनिल मोद्ये और हारमोनियम पर जितेंद्र शर्मा रहे।
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