मामले में नौ आइएएस और पीडब्ल्यूडी के 3 एग्जीक्यूटिव इंजीनियरों समेत 20 लोगों को आरोपी बनाया जा चुका है। लोकायुक्त में दर्ज केस की ताजा पड़ताल में साफ हुआ है कि अगस्त-2016 के बाद लीज समाप्त हो गई। इसके बाद पार्किंग शुल्क की वसूली संभव नहीं थी, इससे सितंबर 2016 से 2019 तक कलेक्टर रहे संकेत भोंडवे, शशांक मिश्र और मनीष सिंह को क्लीन चिट दी। इन तीनों पर अब केस नहीं चलेगा।
Patrika Exclusive: उज्जैन हवाई पट्टी घोटाले में अब इकबाल सिंह बैंस का भी नाम
इनके खिलाफ भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम दर्ज हो चुका केस
आइएएस : अजातशत्रु श्रीवास्तव, डॉ. एम. गीता, बीएम शर्मा, कवींद्र कियावत और नीरज मंडलोई।
एग्जीक्यूटिव इंजीनियर : जीपी पटेल।
कंपनी संचालक : अरुण गुर्टू, यशराज टोंग्या, भरत टोंग्या, शिरीष चुन्नीवाला दलाल, वीरेंद्र जैन, दुष्यंत लाल कपूर, शिवरमन और दिलीप रावत ।
इसी केस में हवाई पट्टी की मरम्मत सरकारी खर्च से किए जाने पर पीडब्ल्यूडी के तीन एग्जीक्यूटिव इंजीनियरों को भी आरोपी बनाया था। वर्ष 2007 से 2016 तक पदस्थ रहने के आधार पर इन पर शिकंजा कसा गया। इनमें से एसएस सलूजा और एके टूटेजा को भी क्लीन चिट दी है। लोकायुक्त जांच में पता चला है कि मरम्मत का काम वर्ष 2013 व 14 में ही हुआ है, इस कारण इस दौरान के एग्जीक्यूटिव इंजीनियर जीपी पटेल ही जिम्मेदार हैं, शेष दोनों का कार्यकाल इस अवधि में नहीं था।