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भोपाल

पडोसी राज्यों से महंगी शराब, फिर भी कमाई में पीछे मध्यप्रदेश

———————– पडोसी राज्यों से सस्ती शराब आकर प्रदेश में अवैध तरीके से बिकती———————-

भोपालJan 16, 2022 / 02:18 pm

जीतेन्द्र चौरसिया

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smuggling from liquor shop itself


भोपाल। प्रदेश में पडोसी राज्यों से महंगी शराब है, लेकिन कमाई में फिर भी प्रदेश पीछे है। इसके एक बडा कारण प्रदेश में पड़ोसी राज्यों से सस्ती शराब आकर अवैध तरीके से बिकना है। पड़ोसी राज्यों में मध्यप्रदेश की तुलना में ज्यादा सस्ती शराब है। साथ ही ज्यादा दुकानें हैं, जिसके चलते प्रदेश की सरहद से सटे जिलों में अवैध शराब की आवक ज्यादा है। अब सरकार इन पहलुओं को ध्यान में रखकर कदम उठा रही है। नई नीति में इसी कारण एमआरपी घटाने की तैयारी है, ताकि ड्यूटी घटने से पड़ोसी राज्यों की तुलना में शराब की कीमत संतुलन में आ सके। पडोसी राज्यों में शराब सस्ती होने के कारण वहां से यहां अवैध तरीके से बिक्री होती है, तो साथ ही यहां के खरीदार भी पडोसी राज्यों के जिलों से खरीदारी करते हैं। इसका नुकसान सरकार के राजस्व को होता है। इसी कारण नई नीति में डयूटी घटाकर अवैध शराब की रोकथाम के प्रयास हैं। नई नीति का ड्राफ्ट तैयार है, जिसे जल्द कैबिनेट से मंजूरी के बाद लागू किया जाएगा।
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कमाई में भी पीछे प्रदेश-
मध्यप्रदेश महंगी शराब होने के बावजूद पडोसी राज्यों से शराब की कमाई के मामले में पीछे हैं। मध्यप्रदेश में औसतन सालभर में दस से ग्यारह हजार करोड रुपए औसत का राजस्व मिलता है। वही उत्तरप्रदेश सें २७ हजार ७०० करोड सालाना का राजस्व है। वहीङ्क्ष राजस्थान में करीब नौ हजार ६०० करोड और महाराष्ट्र में साढे पंद्रह हजार करोड से ज्यादा का राजस्व है। केवल पडोसी राज्य छत्तीसगढ का राजस्व मध्यप्रदेश से कम है। छत्तीसगढ का राजस्व औसत पांच हजार करोड सालाना है।
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ऐसी है स्थिति- (एमआरपी रूपए में)
देसी शराब १८० एमएल प्लेन-
मध्यप्रदेश- ७५
उत्तरप्रदेश- ४९
राजस्थान- ४९
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आफीसर्स च्वाइस बैगपाइपर 750एमएल-
मप्र- 700
राजस्थान- 520
उप्र-455
महाराष्ट्र-440
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एमसी डोवेल-इम्पीरिअल ब्ल्यू-
मप्र- ९६०
राजस्थान- ६४०
उप्र-६००
महाराष्ट्र-५९०
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रायल स्टाग-रॉयल चैलेंज-
मप्र- १०७०
राजस्थान- ७२०
उप्र-७२०
महाराष्ट्र-६७०
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ब्लेंडर प्राइड-सिंगनेचर-
मप्र- १५00
राजस्थान- 5१४०
उप्र-१०३५
महाराष्ट्र-९१०
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