भारत बंद को लेकर अफवाहों का असर भले ही बाजार पर नहीं रहा, लेकिन अभिभावकों और यात्रियों के चेहरों पर साफ नजर आया। रोजमर्रा की तरह बच्चे स्कूल भेजे गए और यात्री भी चिंता के साथ ही सफर करने निकले। जिन यात्रियों को जरूरी निकलना था, वह ही घरों से निकले, वरना काफी संख्या में लोग दोपहर तक घर से ही निकले।
फेक मैसेज करने वालों पर कार्रवाई करने की चेतावनी दी गई तो सोशल मीडिया पर शांति रही। जो संगठन पहले आंदोलन, धरना प्रदर्शन का ऐलान कर रहे थे, वहीं लोग शांति की अपील करते नजर आए।
यात्रियों पर असर
अफवाहों का असर भले ही बाजार पर नहीं रहा, लेकिन अभिभावकों और यात्रियों के चेहरों पर साफ नजर आया। रोजमर्रा की तरह बच्चे स्कूल भेजे गए और यात्री भी चिंता के साथ सफर करने निकले।
1. संगठन: सोशल मीडिया पर बंद की अपील के बाद से पुलिस सक्रिय हुई। सवर्णों के करीब 50 संगठन प्रमुखों से पुलिस अधिकारी ने चर्चा कर बंद की अपील की हकीकत जानी। संगठन प्रमुखों से शांति बनाए रखने की शपथ दिलाई।
2. सोशल मीडिया: सोशल मीडिया में पुलिस ने पेट्रोलिंग तेजकर ऐसे करीब 250 यूजर्स को चिह्नित किया जो भड़काऊ मैसेज चला रहे थे। पुलिस ने नोटिस देकर इन्हें कड़ी कार्रवाई की चेतावनी दी।
3. जनसंवाद: पुलिस ने पिछले छह दिन के अंदर अलग-अलग क्षेत्रों में करीब 50 हजार लोगों से जनसंवाद किया। पुलिस लोगों को यह बताने में सफल रही कि भारत बंद महज अफवाह है। इस पर ध्यान नहीं दें।
4. प्रशासनिक सख्ती: बंद की संभावित तारीख के पहले ही कलेक्टर ने शहर में धारा-144 लगा दी। इसके साथ ही विशेष आदेश जारी कर शासकीय कर्मचारियों को छुट्टी लेकर धरना-प्रदर्शन में नहीं शामिल होने का निर्देश दिया।
5. सुरक्षा: जमीनी स्तर पर पुलिस की जबदस्त तैयारियों ने प्रदर्शनकारियों के मंसूबों की पहले ही हवा निकाल दी। सोमवार शाम फ्लैग मार्च। मंगलवार सुबह से केन्द्रीय सुरक्षा बल के साथ 5हजार जवान की चप्पे-चप्पे पर तैनाती रही।
भूपेन्द्र सिंह, गृहमंत्री (मीडिया से चर्चा के दौरान दिया गया बयान)