रोजाना 1.5 लाख यात्री हो रहे परेशान
लो-फ्लोर बसों के संचालन से राजधानी में रोजाना 3.5 लाख यात्रियों को राहत मिलने का दावा किया गया था। नवंबर2009 में शुरू की गई लो फ्लोर बसों की संख्या बढऩे के बजाय कम हो गई है। शुरुआत में २२५ बसों को शहर में दौड़ाने का दावा किया गया था, पर फिलहाल १८५ बसें ही चल रही हैं। इन कंडम हो चुकी बसों में तकरीबन 1.5 लाख यात्री सफर करने को मजबूर हैं।
20 किलोमीटर का रूट अटका
लो फ्लोर बसों के लिए बैरागढ़ से मिसरोद तक 22 किमी का कॉरिडोर बनाया गया है। वहीं रोशनपुरा से भेल तक 13 किमी, बोर्ड ऑफिस से रायसेन रोड तीन किमी एवं भारत टॉकीज से ताजुल मसाजिद तक चार किमी का रूट अटका हुआ है।
मेट्रो को लेकर भी रार
मेट्रो टे्रन के पहले फेज का काम अपनी विधानसभा में शुरू करवाने के लिए पूर्व मुख्यमंत्री बाबूलाल गौर एवं राज्यमंत्री विश्वास सारंग के बीच खींचतान चलती रही। गौर चाहते थे कि प्रोजेक्ट का शिलान्यास उनके विधानसभा क्षेत्र के अंतर्गत एम्स के पास हो तो सारंग चाहते थे कि इसका शुभारंभ नरेला के अंतर्गत सुभाष फाटक के पास किया जाए।
लो-फ्लोर बसों के संचालन से राजधानी में रोजाना 3.5 लाख यात्रियों को राहत मिलने का दावा किया गया था। नवंबर2009 में शुरू की गई लो फ्लोर बसों की संख्या बढऩे के बजाय कम हो गई है। शुरुआत में २२५ बसों को शहर में दौड़ाने का दावा किया गया था, पर फिलहाल १८५ बसें ही चल रही हैं। इन कंडम हो चुकी बसों में तकरीबन 1.5 लाख यात्री सफर करने को मजबूर हैं।
20 किलोमीटर का रूट अटका
लो फ्लोर बसों के लिए बैरागढ़ से मिसरोद तक 22 किमी का कॉरिडोर बनाया गया है। वहीं रोशनपुरा से भेल तक 13 किमी, बोर्ड ऑफिस से रायसेन रोड तीन किमी एवं भारत टॉकीज से ताजुल मसाजिद तक चार किमी का रूट अटका हुआ है।
मेट्रो को लेकर भी रार
मेट्रो टे्रन के पहले फेज का काम अपनी विधानसभा में शुरू करवाने के लिए पूर्व मुख्यमंत्री बाबूलाल गौर एवं राज्यमंत्री विश्वास सारंग के बीच खींचतान चलती रही। गौर चाहते थे कि प्रोजेक्ट का शिलान्यास उनके विधानसभा क्षेत्र के अंतर्गत एम्स के पास हो तो सारंग चाहते थे कि इसका शुभारंभ नरेला के अंतर्गत सुभाष फाटक के पास किया जाए।
पर अब इसे मंजूरी मिल चुकी है। लो फ्लोर बसों के बेहतर संचालन के लिए इसे निजी कंपनियों को सौंपा है। मिडी बसों की संख्या बढ़ाई है। लोगों को सेहतमंद रखने के लिए स्मार्ट साइकिल भी किराए पर उपलब्ध कराई जा रही हैं।
आलोक शर्मा, महापौर
मेट्रो के नाम पर सरकार ने सिर्फ सपना दिखाया है। सार्वजनिक परिवहन के नाम पर कंडम बसें दौड़ रही हैं। जिनमें महिलाओं की सुरक्षा के इंतजाम नहीं हैं। कांग्रेस शासित राज्यों की तुलना में राजधानी में पब्लिक ट्रांसपोर्ट के हाल बहुत खराब है।
कैलाश मिश्रा, जिला अध्यक्ष, कांग्रेस
आलोक शर्मा, महापौर
मेट्रो के नाम पर सरकार ने सिर्फ सपना दिखाया है। सार्वजनिक परिवहन के नाम पर कंडम बसें दौड़ रही हैं। जिनमें महिलाओं की सुरक्षा के इंतजाम नहीं हैं। कांग्रेस शासित राज्यों की तुलना में राजधानी में पब्लिक ट्रांसपोर्ट के हाल बहुत खराब है।
कैलाश मिश्रा, जिला अध्यक्ष, कांग्रेस