मध्यप्रदेश में मुख्यत: भाजपा और कांग्रेस के बीच ही मुकाबला रहता है लेकिन कई सीटों में बसपा लड़ाई में रहती है। 2013 के विधानसभा चुनावों में बसपा ने 6.4 प्रतिशत वोट के साथ 4 सीटों पर जीत हासिल की थी जबकि कई सीटों पर वह दूसरे नंबर पर थी। अगर 2013 में हुए विधानसभा चुनावों में कांग्रेस और बसपा के वोटों को एक कर दिया जाए तो करीब 16 ऐसी विधानसभा सीटें हैं जहां भाजपा की हार हो सकती है, जबकि 2013 में इन सभी सीटों पर बीजेपी ने जीत दर्ज की थी। इन सीटों में शिवराज सरकार के मंत्री और कई दिग्गज नेताओं के भी नाम शामिल हैं।
2013 के विधानसभा चुनावों नजीतों में भाजपा ने दतिया विधानसभा सीट पर जीत दर्ज की थी। अगर 2018 में बसपा और कांग्रेस के बीच गठबंधन होता है कि यहां भाजपा के लिए मुश्किलें खड़ी हो सकती है। क्योंकि 2013 में दतिया विधानसभा से बीजेपी को 55,997 वोट मिले थे। जबकि कांग्रेस को 44,300 और बसपा को 19,817 वोट मिले थे। अगर बसपा+कांग्रेस किया जाए तो 64,117 वोट हो जाते हैं। जो बीजेपी के 55,997 वोट से ज्यादा हैं।
अगर 2013 के वोटों को जोड़कर देखा जाए तो करीब 16 ऐसी विधानसभा सीटें हैं जहां भाजपा के लिए समस्या खड़ी हो सकती है। ये विधानसभा सीटें हैं सेमारिया, श्योपुर, सिरमौर, सतना, त्यौंथर, सिंगरौली, शाजापुर, भिंड, सुमावली, मुरैना, दतिया, सेवढ़ा, ग्वालियर ईस्ट, अशोक नगर, ग्वालियर ग्रामीण और छतरपुर।
इन 16 विधानसभा सीटों पर भाजपा के कई दिग्गज नेता और शिवराज सरकार के मंत्री भी शामिल हैं। दतिया से मंत्री नरोत्तम मित्रा, ग्वालियर पूर्व से माया सिंह, मुरैना से रुस्तम सिंह, छतरपुर से ललिता यादव के विधानसभा क्षेत्र शामिल हैं।