scriptपश्चिम बंगाल में पले बढ़े, फिर भी MP के इस पिछड़े इलाके में कैसे पहुंचे कमलनाथ, जानिए पूरी कहानी | Congress appoints Kamal Nath as Madhya Pradesh state chief | Patrika News
भोपाल

पश्चिम बंगाल में पले बढ़े, फिर भी MP के इस पिछड़े इलाके में कैसे पहुंचे कमलनाथ, जानिए पूरी कहानी

आज हम आपको बताने जा रहे हैं, कमलनाथ की जिंदगी के कुछ ऐसे पहलू जिन्हें कम ही लोग जानते हैं…

भोपालApr 26, 2018 / 04:13 pm

rishi upadhyay

kamalnath

भोपाल। मध्यप्रदेश के कद्दावर नेता कमलनाथ को मध्यप्रदेश कांग्रेस के अध्यक्ष का पद दिया गया है। माना जा रहा है कि कमलनाथ आगामी चुनाव में पार्टी को मजबूती देंगे और खोए हुए विश्वास को हासिल करने में सफल रहेंगे। आज हम आपको बताने जा रहे हैं, कमलनाथ की जिंदगी के कुछ ऐसे पहलू जिन्हें कम ही लोग जानते हैं। सबसे ज्यादा बार लोकसभा पहुंचने का रिकॉर्ड बना चुके कमलनाथ मध्यप्रदेश के कद्दावर नेता तो हैं ही, साथ ही गांधी परिवार के काफी करीब माने जाते हैं, आइए जानते हैं कुछ ऐसे ही पहलुओं को..

वैसे तो आपातकाल देश के इतिहास में एक काला अध्याय माना जाता है, लेकिन इसी आपातकाल के दौरान एक ऐसे नेता का प्रादुर्भाव हुआ, जो आज मध्यप्रदेश की राजनीति के केन्द्र में है। आपातकाल के दौर में जिस वक्त प्रशासनिक मशीनरी जनता पर कहर ढा रही थी तब गांधी परिवार का करीबी एक युवा नेता अपनी राजनीतिक जड़ों को जमाने का काम कर रहा था। उसने अपने कार्य करने के लिए मध्यप्रदेश के सबसे ज्यादा पिछडे इलाकों में से एक को चुना और जनता ने उसे इतना पसंद किया कि उस नेता के नाम पर सबसे ज्यादा बार लोकसभा में जीतकर जाने का रिकॉर्ड बन गया।

kamalnath

हम बात कर रहे हैं कांग्रेस के कद्दावर और वरिष्ठ नेता, पूर्व केन्द्रीय मंत्री और छिंदवाड़ा से वर्तमान सांसद कमलनाथ की। इंदिरा गांधी के जमाने से कमलनाथ गांधी परिवार के करीबी रहे हैं, इतने करीबी कि एक वक्त कहा जाता था कि मध्यप्रदेश में बिना कमलनाथ की मंजूरी के कांग्रेस पार्टी में पत्ता भी नहीं हिल सकता। हालांकि आज परिस्थितियां कुछ और हैं, लेकिन मध्यप्रदेश में पार्टी का इतिहास कुछ ऐसी ही दास्तान बयां करता है।

 

अक्सर च्यूंगम चबाने का शौक रखने वाले कमलनाथ मध्यप्रदेश के उस क्षेत्र के नुमाइंदे हैं, जहां काफी तादाद में जंगल है, नदियां है, बिजली की पैदाइश के साधन हैं, पर फिर भी वह इलाका पिछड़ा हुआ है। विकास के नाम पर यहां से अभी तक तीन हाइवे और एक रेल लाइन गुजर चुके हैं, लेकिन कई अस्पताल ऐसे हैं, जहां न डाक्टर हैं, न नर्स, न दवाएं। जिले में शिक्षकों के आठ सौ पद खाली पड़े है। सड़कें अधूरी पड़ी है, जो बन भी गई है तो पुल-पुलियाएं नदारद। राज्य सरकार ने गरीबों के लिए जो योजनाएं बनाई हैं, छिंदवाड़ा वाले कहते हैं कि हमें उनका लाभ नहीं मिल पा रहा।

kamalnath

लेकिन ऐसा क्या था, जिसके चलते कानपुर में जन्मे और पश्चिम बंगाल में पले बढ़े कमलनाथ, मध्यप्रदेश आकर बस जाते हैं और छिंदवाड़ा को अपना गढ़ बना लेते हैं। दरअसल इस कहानी की शुरुआत होती है, दून स्कूल के दो स्टूडेन्ट्स की दोस्ती के साथ। देश के सबसे बड़े राजनीतिक परिवार से आने वाले संजय गांधी उन दिनों दून स्कूल में पढ़ा करते थे। यहीं पर उनकी दोस्ती हुई पश्चिम बंगाल से आए कमलनाथ से।

kamalnath

दून स्कूल में शुरू हुई ये दोस्ती धीरे धीरे कमलनाथ को संजय गांधी के परिवार तक ले गई। दून स्कूल से पढ़ाई के बाद कमलनाथ कोलकाता के सेंट जेविएर कॉलेज से ग्रेजुएशन करने पहुंचे, लेकिन दोस्त से दूरी ज्यादा समय तक नहीं रह पाई। अपने बिजनेस को बढ़ाने की मंशा के साथ कमलनाथ दोबारा संजय के करीब आए, और इस बीच कुछ ऐसा हुआ, जिसने कमलनाथ को वाकई कमलनाथ बना दिया।

दरअसल आपातकाल से पहले तक कमलनाथ की कंपनी ईएमसी लिमिटेड जमकर घाटे में चल रही थी। कहा जाता है कि कंपनी को अपने कर्मचारियों को वेतन देने तक के पैसे नहीं थे। लेकिन आपातकाल के बाद कंपनी जमकर मुनाफे में आ गई। आपातकाल में देश में होने वाले ज्यादातर कामों के ठेके कमलनाथ की ही कंपनी को ही मिले। दिसंबर 1975 से जुलाई 1976 के बीच ही इनकी कंपनी को चार करोड़ 73 लाख रुपए के ठेके दिए गए। कंपनी ने ठेके तो लिए और काम का भुगतान भी ले लिया पर काम कुछ भी नहीं किया। बाद में ईएमसी कंपनी को ठेके देने के मामले की जांच के लिए आयोग बनाया गया। इस आयोग की अपनी बैठक जनवरी 1978 में हुई थी। इसके बाद कुछ नहीं हुआ। बाद के सालों में आयोग का क्या हुआ यह भी पता नहीं चला।

 

kamalnath

दूसरी ओर आपातकाल के फौरन बाद कमलनाथ के लिए परेशानी वाले दिन शुरू हो गए थे। पर उन्होंने स्थितियों का सही लाभ उठाया। जनता पार्टी सत्ता में थी, दूसरी ओर वह अपनी कंपनी की जगह विरोधियों से उलझने पर ज्यादा ध्यान देने लगे। कमलनाथ की डायरी का एक हिस्सा वरूण सेन गुप्त की किताब, ‘लास्ट डेज आफ मोरारजी राज’ में छपा है। इसके मुताबिक कमलनाथ ने कांग्रेस और चौधरी चरण सिंह के साथ तालमेल बिठाने में उनकी खासी भूमिका निभाई थी। इस किताब के मुताबिक ये उस वक्त की बात है, जब कमलनाथ सुरेश राम, भजन लाल, बीजू पटनायक, राजनारायण, चौधरी चरण सिंह और इंदिरा गांधी के बीच पुल बने हुए थे।

kamalnath

कांग्रेस की करारी हार, पार्टी के खिलाफ लोगों का आक्रोश, संजय गांधी की असमय मौत और इंदिरा गांधी की बढ़ती उम्र, ये तमाम बातें थीं, जिनकी वजह से कांग्रेस कमज़ोर पड़ती जा रही थी। इस दौर में कमलनाथ ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हुए न सिर्फ पार्टी को मजबूती दी, बल्कि विश्वास खोती जा रही पार्टी के लिए लोगों में उम्मीद जगाई। कमलनाथ पहले ही ये बात गांधी परिवार को स्पष्ट कर चुके थे कि उन्हें किसी चीज की लालसा नहीं है, लिहाजा इंदिरा गांधी ने भी कमलनाथ की मेहनत को पुरुस्कृत करते हुए उन्हें अगले चुनाव में छिंदवाड़ा सीट से राजनीति के मैदान में उतार दिया।

 

इसके बाद 1980 के चुनाव में कमलनाथ छिंदवाड़ा सीट से चुनाव लड़कर लोकसभा पहुंचे और तब से भले ही केन्द्र में सरकार किसी भी पार्टी की रही हो, सिर्फ एक बार को छोड़कर, छिंदवाड़ा कमलनाथ का ही रहा और कमलनाथ छिंदवाड़ा के।

Home / Bhopal / पश्चिम बंगाल में पले बढ़े, फिर भी MP के इस पिछड़े इलाके में कैसे पहुंचे कमलनाथ, जानिए पूरी कहानी

loksabha entry point

ट्रेंडिंग वीडियो