दरअसल, अखबारों में जारी इस विज्ञापन में कई ऐसी चीजों का जिक्र है, जिससे यह जताने की कोशिश की गई है कि दिग्विजय सिंह के रहमोकरम पर कमलनाथ सीएम बने हैं। विज्ञापन में जो विवादित लाइन उसमें यह है कि कमलनाथ पहले भी सीएम बनने वाले थे लेकिन अर्जुन सिंह ने दिग्विजय सिंह का नाम उस वक्त बढ़ा दिया था। साथ ही एक और लाइन है, जिसमें यह लिखा गया है कि इस बार वह दिग्विजय सिंह की सहमति के बाद सीएम बने हैं।
विवाद पर सफाई
हालांकि कांग्रेस नेताओं के बयान भी इसे लेकर एक जैसे नहीं हैं। सुबह जब इस पर विवाद शुरू हुआ तो कांतिलाल भूरिया ने कहा कि यह बीजेपी की साजिश है। वहीं मंत्री पीसी शर्मा ने मीडिया से बात करते हुए कहा कि यह एजेंसी की चूक है। दोबारा इसे छपवाया जाएगा।
ऐसे में सवाल है कि जब प्रदेश कांग्रेस कमिटी ने इस विज्ञापन को नहीं जारी किया है तो आखिर किसने इसे छपवाने के लिए लाखों रुपये खर्च किए। या फिर प्रदेश कांग्रेस कमिटी अपनी खामियों को छिपाने के लिए इस तरह की बात कर रही है। क्योंकि विज्ञापन जो जारी हुआ है, उसमें जिक्र तो मध्यप्रदेश कांग्रेस कमिटी का है। अगर कांग्रेस ने जारी नहीं किए तो मीडिया में खबरें आने के बाद विरोध क्यों नहीं किया। छिछा लेदर होने के बाद नेता क्यों सफाई देने आए। इम तमाम सवालों की वजह से एक सवाल और उठ रहा है कि इसमें क्या कोई खेल हुआ है।